पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी माहौल गर्म हो गया है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने बड़ा दांव खेल दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी। यह खबर NDA के लिए किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि राजभर पहले गठबंधन में सीटों की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन जब बात नहीं बनी, तो उन्होंने बगावत का रास्ता चुन लिया।
क्या है पूरा माजरा?
ओम प्रकाश राजभर पिछले कुछ समय से बिहार में अपनी पार्टी का आधार मजबूत करने में जुटे थे। उनकी नजर बिहार विधानसभा की उन सीटों पर थी, जहां राजभर समुदाय का प्रभाव है। खबरों के मुताबिक, बिहार की 38 सीटों में से 32 पर राजभर वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। राजभर को भरोसा था कि NDA गठबंधन में उनकी पार्टी को कुछ सीटें जरूर मिलेंगी। लेकिन जब गठबंधन ने सीट-बंटवारे का ऐलान किया, तो SBSP को एक भी सीट नहीं दी गई। बस, यहीं से शुरू हुआ असली खेल. राजभर ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, “हमने उपचुनावों में NDA का साथ दिया, गठबंधन धर्म निभाया, लेकिन अब BJP ने हमारा साथ नहीं निभाया।” गुस्से में आकर राजभर ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी अब बिहार में क्षेत्रीय दलों के साथ मोर्चा बनाकर 153 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। यह कदम NDA के लिए बड़ा सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि राजभर वोटरों का एक बड़ा हिस्सा उनकी तरफ जा सकता है।
NDA का सीट बंटवारा
NDA ने बिहार की 243 सीटों के लिए बंटवारे का फॉर्मूला पहले ही तय कर लिया है. BJP और JDU को 101-101 सीटें मिली हैं, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 और HAM व RLJP को 6-6 सीटें दी गई हैं। लेकिन इस बंटवारे में SBSP को जगह नहीं मिली, जिसने राजभर को बगावत के लिए उकसाया। सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह फैसला NDA के लिए उल्टा पड़ सकता है, क्योंकि राजभर का प्रभाव बिहार के कुछ इलाकों में मजबूत है। राजभर का यह कदम बिहार की सियासत में नया मोड़ ला सकता है। अगर SBSP वाकई 153 सीटों पर उम्मीदवार उतारती है, तो यह NDA के वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है। राजभर की रणनीति है कि वह क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ करके मैदान में उतरें और राजभर समुदाय के वोटों को अपने पाले में करें। सवाल यह है कि क्या राजभर की यह बगावत NDA को कमजोर कर पाएगी, या फिर यह सिर्फ एक सियासी शोर साबित होगा? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे।