मानवता की अनोखी तस्वीर—मुस्लिम एंबुलेंस ड्राइवर करेगा ईसाई महिला का हिंदू संस्कारों से अंतिम संस्कार

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जोधपुर | राजस्थान के जोधपुर शहर में एक अनोखा और भावनात्मक मामला सामने आया है. जिसने मानवता, आपसी सद्भाव और भारतीय संस्कृति की मूल भावना को फिर से साबित कर दिया है. यहां यूक्रेन की 58 वर्षीय ईसाई महिला कैथरीना की अचानक मृत्यु के बाद उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी एक मुस्लिम युवक को सौंपी गई है, जो हिंदू परंपराओं के अनुसार यह संस्कार संपन्न कराएगा |

तीन दिन पहले कैथरीना जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड, सेक्टर 21 स्थित अपने हिंदू महिला मित्र के घर ठहरी हुई थीं. भारत और इसकी संस्कृति से गहरा लगाव रखने वाली कैथरीना तीसरी बार देश आई थीं. इसी दौरान अचानक तबीयत खराब होने से उनका निधन हो गया. उनके परिवार से संपर्क किए जाने पर यूक्रेन के परिजनों ने मुंबई की एक कंपनी को अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कराने की जिम्मेदारी दी. इस कंपनी ने जोधपुर में अपनी सेवा से जुड़े मुस्लिम एंबुलेंस चालक छोटू खान को यह जिम्मेदारी सौंपी.

छोटू खान करेगा यूक्रेन की ईसाई महिला का अंतिम संस्कार

जानकारी के अनुसार, मुस्लिम एंबुलेंस चालक छोटू खान ने इस जिम्मेदारी को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ हिंदू रीति-रिवाजों को समझकर उनका पालन करने की तैयारी भी शुरू कर दी. उनका कहना है कि यह इंसानियत की सेवा है और किसी भी धर्म से ऊपर मानवता का कर्तव्य आता है |

यूक्रेन भेजी जाएंगी कैथरीना की अस्थियां

पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी होने के बाद कल कैथरीना का अंतिम संस्कार किया जाना था, लेकिन सूर्यास्त होने के कारण हिंदू परंपराओं के अनुसार संस्कार नहीं किया जा सका. अब आज सूर्योदय के बाद विधि-विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा | अंतिम संस्कार के बाद कैथरीना की अस्थियां नियमानुसार यूक्रेन भेजी जाएंगी, ताकि परिवारजन उन्हें अपने देश में सुरक्षित रख सकें |

इस मामले में जोधपुर पुलिस रही विशेष रूप से सक्रिय

इस पूरे मामले में जोधपुर पुलिस विशेष रूप से सक्रिय रही. थाना प्रभारी ईश्वरचंद्र पारीक ने पूरे प्रकरण को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ संभाला. उन्होंने पहले ही दिन से एंबेसी, मुंबई की कंपनी और मृतका के परिजनों से लगातार संपर्क बनाए रखा, ताकि सभी कानूनी और प्रक्रिया संबंधी कार्य समय पर पूरे हों |

यह घटना शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है, क्योंकि इसमें तीन अलग-अलग संस्कृतियों यूक्रेन की ईसाई समुदाय, भारत की हिंदू परंपराएं और एक मुस्लिम युवक की सेवा का सुंदर संगम दिखाई दे रहा है. यह उदाहरण एक बार फिर सिद्ध करता है कि भारतीय समाज में धर्म से बढ़कर मानवता है और जरूरत पड़ने पर लोग हर सीमा और पहचान से ऊपर उठकर मदद के लिए आगे आते हैं |