Sunday, April 13, 2025
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डिजिटल ठगी की जांच में अहम मोड़, खाताधारक की भूमिका आई सामने

साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच अजमेर पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के बहाने एक व्यक्ति से लाखों रुपये की ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े एक खाताधारक को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई साइबर अपराध थाना अजमेर द्वारा की गई है।

ठगी का तरीका और मामला दर्ज
पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा ने बताया कि 18 नवंबर 2024 से 27 नवंबर 2024 के बीच उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी अनुराग पुत्र अवध किशोर के साथ डिजिटल अरेस्ट के नाम पर धोखाधड़ी की गई। 24 जनवरी 2025 को अनुराग ने साइबर अपराध थाना अजमेर में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

रिपोर्ट के अनुसार, 18 नवंबर को दोपहर करीब 2.45 बजे उन्हें एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को बीएचईएल कंपनी का प्रतिनिधि बताया। आरोपी ने कहा कि मुम्बई से चीन भेजे गए एक पार्सल में अवैध मादक पदार्थ मिला है, जिससे जुड़ी जांच में अनुराग का नाम सामने आया है। इसके बाद उसे डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 10 दिनों तक मानसिक दबाव में रखा गया और विभिन्न खातों में कुल 5,18,966 रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। पीड़ित की शिकायत पर साइबर अपराध थाना, अजमेर में प्रकरण संख्या 04/25 दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।

टीम का गठन और कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु जांगिड़ और थानाधिकारी साइबर अपराध हनुमान सिंह राठौड़ आर.पी.एस. के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई। टीम में कांस्टेबल सोनू, रामदयाल व चालक दशरथ शामिल रहे। टीम ने साइबर पोर्टल 1930 की मदद से ठगी में उपयोग हुए खातों की पहचान की। संदिग्ध बैंक खातों का स्टेटमेंट और KYC दस्तावेज प्राप्त कर खाताधारक की पहचान की गई।

आरोपी की गिरफ्तारी
जांच में सामने आया कि पाली जिले के चंडावल थाना क्षेत्र के खारियाबाग निवासी रोहित पुत्र गोविन्दराम, उम्र 20 वर्ष, ने अपना बैंक खाता और उससे जुड़ी सिम साइबर ठगों को सौंप दिया था। बदले में उसे 15 से 20 हजार रुपये की राशि दी गई थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और आगे की पूछताछ जारी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आरोपी और किन लोगों के संपर्क में था और इस गिरोह से कितने लोग जुड़े हैं।

सावधानी बरतने की सलाह
पुलिस ने आमजन से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति यदि खुद को सरकारी अधिकारी या कंपनी का प्रतिनिधि बताकर दबाव बनाने की कोशिश करे, तो तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर सूचना दें। किसी भी परिस्थिति में डर के कारण ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर न करें।

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