दिल्ली में स्वच्छ, हरित और प्रदूषण मुक्त वातावरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भलस्वा लैंडफिल साइट पर सोमवार को बांस वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा, सांसद योगेन्द्र चंदोलिया समेत एमसीडी और सरकार के कई सीनियर अधिकारी शामिल हुए. एलजी विनय सक्सेना ने कहा, आज दो हजार बांस के पौधे लगाए गए हैं. एक महीने में करीब 54 हजार बांस के पौधे और लगाए जाएंगे. आने वाले दिनों में आपको यहां कूड़े का पहाड़ नहीं बल्कि ग्रीन पैच नजर आएंगे.
बांस वृक्षारोपण का क्या है मकसद?
सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, "बांस वृक्षारोपण के पीछे हमारा मकसद दिल्ली को पॉल्यूशन फ्री बनाना है. इस दिशा में हम तेजी से कार्य कर रहे हैं. हम तीनों लैंडफिल साइट का दौरा कर वहां के काम में तेजी लाएंगे. बांस के पौधों को इसलिए लगाया जा रहा है, ताकि दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में मदद मिले. दरअसल, दिल्ली में भलस्वा लैंडफिल साइट की पहचान वर्षों से कूड़े के पहाड़ के रूप में है. इस स्थल पर बांस के पौधे लगाने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को सुधारना और प्रदूषण को कम करना है. बांस तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जो मिट्टी को मजबूती प्रदान करता है. हवा से हानिकारक तत्वों को अवशोषित करता है. इससे न केवल पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
भलस्वा लैंडफिल साइट का इतिहास
भलस्वा लैंडफिल साइट दिल्ली की प्रमुख कूड़ा डंपिंग और निस्तारण स्थलों में से एक है. यहां पर वर्षों से कचरा जमा होता रहा है. कूड़े की वजह से इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ी हैं. पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए कई कदम उठाए हैं. दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना ने मई 2023 में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइटों का दौरा किया था, जिसमें कूड़े के निपटारे के काम की समीक्षा की गई थी. उनके प्रयासों से 7 महीनों में कूड़े के पहाड़ों की ऊंचाई में लगभग 15 मीटर की कमी आई थी.
प्रमुख लैंडफिल साइट्स और उनके क्षेत्रफल
दिल्ली के ओखला लैंडफिल साइट का क्षेत्रफल 40 एकड़ है. भलस्वा लैंडफिल साइट 78.5 एकड़ और गाजीपुर लैंडफिल साइट लगभग 70 एकड़ में फैला है.