बेगूसराय: बिहार चुनाव मेंबेगूसराय जिले की सदर सीट को बीजेपी का परंपरागत 'गढ़' माना जाता है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक, सिर्फ 2015 का चुनाव छोड़ दें, तो यह सीट लगातार बीजेपी के कब्जे में रही है। 2000 और 2005 दोनों विधानसभा चुनावों में बीजेपी के भोला सिंह ने जीत दर्ज की थी। 2009 में भोला सिंह के नवादा से सांसद बनने के बाद हुए उपचुनाव में भी बीजेपी के श्रीकृष्णा सिंह विजेता बने। 2010 में सुरेंद्र मेहता ने बीजेपी की ओर से चुनाव जीता, उन्हें 50,602 वोट मिले जबकि लोजपा के उपेंद्र सिंह को 30,984 वोट मिले थे। इस तरह बीजेपी ने 19,618 वोटों से जीत दर्ज की। हालांकि 2015 में कांग्रेस की अमिता भूषण ने बीजेपी के सुरेंद्र मेहता को 16,531 वोटों से हराकर इतिहास रच दिया।
2020 में बदली सीट, फिर लौटी बीजेपी
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उम्मीदवार बदलते हुए कुंदन कुमार को मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने अमिता भूषण को दोबारा टिकट दिया। कुंदन कुमार को 74,217 वोट मिले जबकि अमिता भूषण को 69,662 वोट, और इस तरह बीजेपी ने फिर अपनी खोई सीट वापस पा ली।
लोकसभा में भी कायम रही बीजेपी की लीड
2024 के लोकसभा चुनाव में भी बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी को भारी लीड मिली। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर शानदार जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत की। 2019 और 2024 दोनों लोकसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी ने बढ़त बनाए रखी, जिससे यह सीट बीजेपी का सुरक्षित गढ़ मानी जाती है। 2024 में यहां 3,71,269 मतदाता थे, जो संशोधन के बाद घटकर 3,32,324 मतदाता रह गए हैं।
बेगूसराय सदर से कौन मैदान में?
2025 के विधानसभा चुनाव में दावेदारों की बात की जाए तो बीजेपी की यह सीटिंग सीट है। बीजेपी ने यहां कुंदन कुमार को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं महागठबंधन से बेगूसराय विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई है। यहां से कांग्रेस की अमिता भूषण फिर चुनावी मैदान में हैं। वही जन सुराज से सुरेंद्र कुमार साहनी चुनावी मैदान में है।
बेगूसराय सदर में क्या हैं चुनावी मुद्दे?
बेगूसराय सदर विधानसभा के शहरी क्षेत्र में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से बुडको के द्वारा जल निकासी के लिए किए जा रहे योजना से सड़कों की हालत बदतर हो गई है जिससे शहर वासी परेशान रहते हैं । शिक्षा के लिए लगातार यहां दिनकर विश्वविद्यालय के निर्माण को लेकर एक बड़ा मुद्दा रहता है। शहरी क्षेत्र होने की वजह से डिग्री कॉलेज में सीट बढ़ाने को लेकर भी मारामारी एक बड़ा मुद्दा छात्र संगठन के द्वारा बनाया जा रहा है। रोजगार पलायन का भी मुद्दा इस बार हावी रहेगा। शहरी क्षेत्र होने की वजह से अतिक्रमण और जाम की समस्या भी मुद्दा इस चुनाव में असर डालेगा।
भूमिहार राजपूत और वैश्य समाज के वोटर होते हैं निर्णायक
बेगूसराय विधानसभा भूमिहार बहुल विधानसभा माना जाता है अगर जातिगत आंकड़ों की बात करें तो राजनीतिक दल के द्वारा उपलब्ध कराए गए जातिगत आंकड़ा इस प्रकार से है- भूमिहार 75000, राजपूत 5200, कायस्थ 15000, ब्राह्मण 12000, कूर्मी धानुक 20000, कुशवाहा 22000, यादव 10000, मुसलमान 36000, पासवान 22000, रविदास 8000, मुशहर 7000, वैश्य 55000, तांती जुलाहा 8000, नागर 8000, धोबी 6000, नाई 5000, कुम्हार 4000, सहनी बिंद 13000, मेस्तर डोम 5000, कहार 4000, अन्य 20000 वोट हैं।









