जयपुर, कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने युवाओं से कहा है कि प्राचीन भारतीय आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विकसित करते हुए भारत की इस महान विरासत के जरिए राष्ट्र को नई दिशा दें और विकसित भारत की संकल्पना में समाहित नीरोगी समाज के लक्ष्य पाने में हरसंभव सहभागिता निभाएं।
राज्यपाल श्री बागडे शुक्रवार को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के अष्टम दीक्षान्त समारोह में संबोधित कर रहे थे।
कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय की ओर से 1426 उपाधियां प्रदान कीं। इस अवसर पर बी.ए.एम.एस, बी.यू.एम.एस, बी.एच.एम.एस एवं बी.एस.सी नर्सिंग आयुर्वेद में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 4 छात्रों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए।
समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी आयुर्वेद के 16, एमडी/एमएस आयुर्वेद के 119, एमडी होम्योपैथी के 19, बीएएमएस के 717, बीएचएमएस के 227, बीयूएमएस के 157, बीएनवाईएस के 97 एवं बी.एससी आयुर्वेद नर्सिंग के 74 विद्यार्थियों सहित कुल 1426 को उपाधि प्रदान की गई।
सेवाओं का आदर्श दर्शाएं—
कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने युवाओं से कहा कि वे व्यायाम, योग और ध्यान-ज्ञान की भारतीय स्वस्थ जीवन की परम्परा को अपनाएं और सामूहिक हितों की कल्याणकारी भावनाओं को सर्वोपरि रखकर जनसेवा का आदर्श प्रस्तुत करें।
बेहतर जीवनशैली में मददगार बनें—
उन्होंने कहा कि आयुष पद्धति, स्वास्थ्य से जुड़ा भारतीय ज्ञान है। इसका उपयोग गरीब, जरूरतमंदों की निःस्वार्थ भाव से सेवा में करें। यह करुणामयी स्वास्थ्य सेवा ही गरीब रोगियों को स्वास्थ्य के साथ-साथ बेहतर जीवनशैली का हौसला प्रदान करने में मददगार सिद्ध होगी।
आयुर्वेद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा—
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पंचकर्म विभाग के अंतर्गत “अन्तर्राष्ट्रीय सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स” के निर्माण और निकट भविष्य में इसके प्रारंभ होने से आयुर्वेद पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार की आयुष वीजा नीति की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति से इस दिशा में और अधिक सुखद परिणाम आएंगे।
विश्वविद्यालय की सराहना—
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद और इससे संबंधित क्षेत्रों के विकास, नवाचारों और सामाजिक सरोकारों के प्रति समर्पित दायित्वों की सराहना भी की और ख़ासकर विश्वविद्यालय द्वारा भगवान धन्वन्तरि के नाम पर 1200 औषधीय पादपों का एक विशाल वनौषधि उद्यान विकसित करने को स्तुत्य प्रयास बताते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय देश में श्रेष्ठ आयुष शिक्षण और अनुसन्धान केन्द्र के रूप में प्रतिस्थापित होगा।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए 46 एम.ओ.यू. पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे भविष्य में आयुर्वेद के हमारे ज्ञान का तेजी से वैश्विक प्रसार हो सकेगा।