प्रेरणादायक कहानी: नक्सलवाद छोड़ बदला जीवन, 150 परिवारों की तकदीर बदलने वाले की PM मोदी ने की तारीफ

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झारखंड के गुमला के बसिया प्रखंड के कुम्हारी गांव के रहने वाले ओम प्रकाश साहू उर्फ पप्पू साहू की प्रधानमंत्री ने प्रशंसा की. उन्होंने रविवार, 27 जुलाई को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में ओम प्रकाश साहू की चर्चा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को बताया कि कैसे झारखंड के गुमला के रहने वाले ओम प्रकाश साहू हथियार और हिंसा का रास्ता छोड़कर मत्स्य पालन कर पूरे क्षेत्र में एक सफल मत्स्य पालक बनकर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के साथ-साथ दूसरों के लिए भी रोजगार सृजन करने वाले बन गए हैं.

“प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना” शुरू होने के बाद ओमप्रकाश साहू की जिंदगी ही बदल गई. जिला प्रशासन के सहयोग से उन्हें मत्स्य पालन की शिक्षा मिली और तालाब निर्माण में भी सहयोग मिला. धीरे-धीरे गुमला में मत्स्य क्रांति की एक नई अलख जग गई और आज के समय में गुमला जिले के बसिया क्षेत्र के 150 से ज्यादा परिवार जो कभी बंदूक लेकर हिंसा के रास्ते पर चलते थे. वह अब हथियार छोड़कर मछली पालन के लिए जाल थाम कर अपने तालाब का रुख कर रहे हैं. वह मत्स्य पालन कर अपने परिवार का भविष्य बेहतर बना रहे हैं.

विकास के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित

साल 2008 में हिंसा का रास्ता छोड़कर ओमप्रकाश साहू नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन करने लगे. उन्हें देख बाकी ग्रामीण भी मुख्यधारा में लौटते हुए हथियार और हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में ओमप्रकाश साहू की प्रशंसा करते हुए जिक्र किया कि कैसे नक्सली और उग्रवाद संगठनों से जुड़कर लोग हिंसा के रास्ते पर चलते थे, जिन हाथों में पहले हथियार हुआ करते थे. उन हाथों में अब मछली पकड़ने के लिए जाल हैं.

150 से ज्यादा परिवार कर रहे काम

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से सिर्फ ओमप्रकाश साहू ही नहीं बल्कि, 150 से ज्यादा ऐसे परिवार जो पहले उग्रवाद या नक्सलवाद के रास्ते पर चल रहे थे. वह आज मुख्यधारा में लौट गए हैं और मत्स्य पालन कर रहे हैं. ओमप्रकाश साहू बसिया प्रखंड में एक्टिव पीएलएफआई नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए गठित शांति सेवा के प्रमुख सदस्य थे. धीरे-धीरे सरकार के सहयोग से हिंसा का रास्ता छोड़ उन्होंने साल 2014 में अपने एक तालाब में मछली पालन कर की शुरुआत की थी, फिर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत उन्हें जिला प्रशासन की ओर से प्रशिक्षण के साथ-साथ लीज पर चार तालाब भी मुहैया कराए गए.

इसके बाद वह उन्होंने बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन की शुरुआत की. धीरे-धीरे उन्हें देखते हुए लगभग 150 परिवार जो किसी न किसी रूप में उग्रवाद और माओवाद से जुड़े हुए थे, वह भी हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्य धारा में लौटे और अब मत्स्य पालन कर लाखों रुपए की कमाई कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं. परंपरागत धान की खेती के मुकाबले मत्स्य पालन में ज्यादा आमदनी होती है. इसलिए मत्स्य पालन के लिए रुझान बढ़ा है.

ओम प्रकाश कर रहे लाखों में कमाई

मत्स्य पालन कर ओमप्रकाश साहू सालाना लगभग 7 लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. एक दशक पहले बसिया क्षेत्र का इलाका जो भाकपा माओवादी, पीएलएफआई और अन्य संगठित गिरोह के आतंक से त्रस्त और भयभीत था. आज वही इलाका भयमुक्त वातावरण में मत्स्य पालन कर सफलता की एक नई मिसाल पेश कर रहा है.