लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ का कहर बढ़ता जा रहा है। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक मिर्जापुर जिला बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है। यहां उफनाई गंगा वर्ष 2021 के अपने उच्चतम जलस्तर से चुनार में सात और नरायणपुर में 18 सेमी ऊपर बह रही है। सिंचाई विभाग की ओर से संबंधित अधिकारियों को इसके लिए अलर्ट कर दिया गया है। उधर, बारिश से हुए हादसों में 14 की जान चली गई।
अधिशासी अभियंता (बाढ़ मंडल) हरिओम गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को सबसे गंभीर स्थिति मिर्जापुर जिले की है। चुनार क्षेत्र में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। 2021 में यहां का जलस्तर खतरे के निशान यानी लाल निशान 75.28 मीटर से ऊपर पहुंच गया था। मंगलवार को इससे भी सात सेमी ज्यादा हो गया। इससे 36 गांव प्रभावित हैं। यहीं के नराणपुर में स्थिति और भी खराब है। यहां नदी वर्ष 2021 के अपने उच्चतम जलस्तर 74.91 से 18 सेमी ऊपर बह रही है। यह स्थिति राजस्थान के चंबल नदी के उफान से पहुंचे बाढ़ के पानी के कारण हुई है।
प्रयागराज में यमुना अपने खतरा निशान 84.74 मीटर से 1.19 मीटर और प्रयागराज के ही छदनाग क्षेत्र में खतरा निशान 84.374 मीटर से 58 सेमी. ऊपर बह रही है। पूर्वांचल में वाराणसी, गाजीपुर, बलिया, श्रावस्ती क्षेत्र में बहने वाली नदियों के साथ ही लखनऊ मंडल के लखीमपुर खीरी के पलिया में शारदा खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गई। हालांकि देर रात सभी जगह जलस्तर घटने की संभावना है।
बारिश से हुए हादसों में चित्रकूट में एक बच्चे समेत दो, महोबा में दो और उन्नाव में एक बच्ची की जान चली गई। प्रयागराज के फाफामऊ में तीन और बमरौली एयरपोर्ट के पास दो लोग डूब गए। बिजनौर में दो, सीतापुर में एक और मुरादाबाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
उधर, बांदा में पैलानी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में मंगलवार को प्रशासन ने तहसीलदार के माध्यम से लंच पैकेट वितरित कराए। एडीएम पैलानी अंकित वर्मा का कहना है कि अब तक पीड़ितों को तीन हजार से ज्यादा लंच पैकेट व तीन सौ राहत किट का वितरण किया जा चुका है।