बिहार : बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान प्रारूप मतदाता सूची में 65 लाख नामों का अंतर दर्ज किया गया है। चुनाव आयोग (ECI) ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस अंतर की वजह स्पष्ट की। आयोग के अनुसार, कुल आठ करोड़ मतदाताओं के लिए नामांकन प्रपत्र वितरित और डाउनलोड किए गए थे, जिनमें से 7.24 करोड़ प्रपत्र ही बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) द्वारा संग्रहित किए जा सके।
आयोग ने बताया कि शेष मतदाताओं के फॉर्म इसलिए नहीं मिले क्योंकि वे अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता बन गए थे, या अस्तित्व में नहीं पाए गए, या 25 जुलाई तक फॉर्म जमा नहीं किया, या किसी कारणवश मतदाता के रूप में पंजीकरण के इच्छुक नहीं थे।
आंकड़ों में स्पष्ट हुआ अंतर
चुनाव आयोग के मुताबिक, 65 लाख के इस अंतर में 22 लाख मृतक, 36 लाख स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए या उपलब्ध नहीं हुए, जबकि शेष सात लाख ऐसे थे जिनके नाम कई स्थानों पर दर्ज थे। आयोग का कहना है कि SIR का उद्देश्य है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अपात्र मतदाता सूची में शामिल न हो।
दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अवधि जारी
आयोग ने बताया कि वास्तविक पात्र मतदाता एक अगस्त से एक सितंबर 2025 के बीच दावा और आपत्ति की अवधि में अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकते हैं। अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने प्रारूप मतदाता सूची को लेकर कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। हालांकि एक अगस्त को प्रारूप सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक आयोग को मतदाताओं से सीधे 6,257 दावे और आपत्तियां मिली हैं।
‘कोई पात्र मतदाता नहीं छूटेगा’
चुनाव आयोग ने एक बार फिर दोहराया है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी पात्र मतदाता को बाहर नहीं रखा जाएगा और किसी भी अपात्र नाम को शामिल नहीं किया जाएगा। आयोग ने दावा किया कि दैनिक आधार पर वितरित, संग्रहित और डिजिटाइज किए गए प्रपत्रों का डेटा और ग्राफ सार्वजनिक किया जा रहा है, जिससे प्रक्रिया की पारदर्शिता बनी रहे।