Thursday, April 24, 2025
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आयकर विभाग ने वॉट्सऐप से ट्रैक की कारोबारी की बेनामी संपत्ति, 1 महीने में 4.53 करोड़ का ट्रांजेक्शन

इनकम टैक्स चोरी के मामले में हाईकोर्ट ने वॉट्सऐप चैट को भी एक सबूत के रूप में मानते हुए कारोबारी की याचिका को खारिज कर दिया है। कारोबारी ने जयपुर में खरीदी प्रॉपर्टी को खातों में नहीं दिखाया था। विभाग को जांच के दौरान एक मोबाइल में 4 करोड़ 52 लाख 62 हजार के लेनदेन के सबूत मिले थे।साथ ही, जांच में सामने आया था कि कारोबारी एक लाख रुपए को एक फाइल और 100 ग्राम गोल्ड बार जैसे कोड वर्ड इस्तेमाल करके बचने की कोशिश करता था। जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी व जस्टिस चंद्रप्रकाश श्रीमाली की बैंच ने इस वॉट्सऐप चैट को धारा 153सी के तहत ‘अन्य दस्तावेजों’ की कैटेगरी में रखते हुए सबूत को सही ठहराया।

पढ़िए पूरा मामला
13 जुलाई 2020 को बीकानेर के ओम कोठारी ग्रुप पर आयकर विभाग के जयपुर इन्वेस्टिगेशन डायरेक्टरेट ने छापे मारे थे। यहां छापे के बाद 16 जून 2023 को ग्रुप को नोटिस जारी किया था। इसमें खातों में अनियमितताओं से संबंधित जवाब मांगा गया था।इस दौरान कोर्ट में जब वॉट्सऐप से जुड़ी चैट को सबूत के रूप में पेश किया गया तो ओम कोठारी ग्रुप के संचालक गिरिराज पुंगलिया की ओर से इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इसमें उन्होंने अपनी आय 41,89,700/- आयकर रिटर्न दाखिल करने की बात भी कही थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के सबूतों को कानून सम्मत बताया।

याचिकाकर्ता के वकील बोले- चैट में केवल संकेत मिले
याचिकाकर्ता पुंगलिया के की और से एडवोकेट आदित्य विजय और पंकज अरोड़ा ने दलील पेश करते हुए बताया- सर्च कार्रवाई में आयकर विभाग ने ओम कोठारी समूह से जुड़े ठिकानों से जब्ती की कार्रवाई की थी। इनमें समूह के निदेशकों और सहयोगियों के बीच वॉट्सऐप चैट भी कब्जे में ली गई थी।इसमें कैश के लेनदेन और जमीनें खरीदने के संकेत थे। इसके बाद आयकर विभाग ने चैट के आधार पर पुंगलिया को अधिनियम की धारा 153 सी के तहत नोटिस दिया। जबकि, उनके यहां से ऐसे कोई दस्तावेज भी बरामद नहीं हुए थे, जो किसी प्रोपर्टी खरीदने की पुष्टि करते हों। ऐसे में सिर्फ वॉट्सऐप चैट के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

विभाग ने डिकोड किए थे कोड वर्ड
आयकर विभाग की ओर से वकील के.के. बिस्सा ने कोर्ट को बताया- याचिकाकर्ता को दोषी साबित करने के लिए चैट में पर्याप्त तथ्य मौजूद हैं। चैट में दर्शाए गए लेनदेन के वास्तविकता में होने के साक्ष्य मिले हैं। जिनमें भूखंड की वास्तविक खरीद याचिकाकर्ता समूह द्वारा किए जाने की पुष्टि हुई है। लेनदेन की उस चैट में इस्तेमाल कोड वर्ड को भी डिकोड किया गया। विभाग ने इसके बाद चैट और उसके कोड वर्ड को डिकोड करते हुए कोर्ट के सामने सबूत पेश किए।

करोड़ों का लेनदेन खातों में दिखाया ही नहीं
आयकर अधिकारियों की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि ओम ग्रुप की सर्च कार्रवाई और जब्ती में स्पष्ट था कि याचिकाकर्ता ने भूखंड खरीदे हैं। इसके लिए अकाउंट्स से छिपा कर कैश का लेनदेन किया गया है। साथ ही सर्च कार्रवाई के दौरान डिजिटल गैजेट्स में मिले सबूत और कर्मचारियों के बयान भी पेश किए गए। जिससे जाहिर होता है कि कैश का बड़ी मात्रा में लेनदेन किया गया था, जिसे खातों में नहीं दिखाया गया।

कोर्ट ने याचिका को खारिज किया
इस पर अदालत ने कहा कि वॉट्सऐप चैट करने वाले दोनों व्यक्ति ग्रुप से जुड़े हैं। साथ ही यह भी साबित होता है कि कैश लेनदेन भूखंडों के संबंध में था। जिसके भुगतान का विवरण भी है। ऐसे में, इस सबूत को अस्पष्ट नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा- ऐसे मामले में अगर कार्रवाई अस्पष्ट हो तो इसे अन्य दस्तावेज नहीं माना जा सकता। लेकिन, इस मामले में चैट पूरी तरह पुष्ट और परिभाषित है। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।
 

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