उप निबंधकों के तबादले में भ्रष्टाचार पर हटाए गए महानिरीक्षक निबंधन

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स्टांप एवं पंजीयन विभाग में 200 से अधिक उप निबंधक व निबंधक लिपिकों के तबादले में भ्रष्टाचार पर समीर वर्मा को महानिरीक्षक (आईजी) निबंधन के पद से हटा दिया गया है। 

स्टांप व पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बुधवार को लिखित शिकायत कर आईजी पर तबादलों में लाखों रुपये को लेनदेन करने और स्थानांतरण नीति का उल्लंघन कर दागी अधिकारियों को मनचाही तैनाती देने का आरोप लगाया था। 

मंत्री ने आईजी को हटाने के साथ ही मुख्यमंत्री से पूरे मामले की एसटीएफ से जांच कराने की भी मांग की थी। मंत्री की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश पर समीर को प्रतीक्षारत करने के साथ ही विभागीय प्रमुख सचिव अमित गुप्ता ने उप निबंधकों और निबंधन लिपिकों के सभी तबादलों को अगले आदेश तक स्थगित भी कर दिया है। 

अमित गुप्ता को ही आईजी निबंधन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। स्थानांतरण नीति के तहत प्रदेश में 15 मई से 15 जून तक तबादलों की प्रक्रिया पूरी की गई है। आईजी निबंधन ने 13 जून को 59 उप निबंधकों का स्थानांतरण आदेश एक साथ जारी किया था, जबकि एक उप निबंधक के तबादले के लिए अलग से आदेश जारी किया गया।

इसी तारीख को 31 नव प्रोन्नत उप निबंधकों को नई तैनाती प्रदान की गई। इसके बाद 14 जून को 114 कनिष्ठ सहायक निबंधन का स्थानांतरण आदेश जारी किया गया था। गुरुवार को मंत्री रवीन्द्र ने पत्रकारों को बताया कि स्थानांतरण में आईजी स्टांप के विरुद्ध भ्रष्टाचार की काफी शिकायतें प्रा

कई बार शिकायतों और जांच से गुजरे दागदार व भ्रष्ट अधिकारियों को उनकी मनमाफिक तैनाती दी गई। राजस्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण तैनाती स्थलों पर दागदार अधिकारियों की तैनाती के बदले लाखों-लाख रुपये के लेन-देन की शिकायतें मिल रही हैं। 

प्रारंभिक रूप से आईजी निबंधन की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। महत्वपूर्ण कार्यालयों में प्रभारी उप निबंधक व प्रोन्नत उप निबंधक की तैनाती निर्देशों के विपरीत की गई है। 

उपनिबधंकों एवं निबंधन सहायकों की तबादला सूची से यह बात स्पष्ट हो रही है कि आईजी के स्तर से घोर लापरवाही की गई, दागदार अधिकारियों को महत्वपूर्ण तैनाती व सीधी भर्ती के अधिकारियों को अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण कार्यालयों में तैनाती दी गई, जिससे भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। 

मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र में कहा गया है कि आईजी निबंधन को विभाग से कहीं ओर स्थानांतरित किया जाए या लंबी छुट्टी पर भेजा जाए। उन्होंने सभी तबादलों को निरस्त करने की भी मांग की। 

इस पर मुख्यमंत्री के निर्देश मिलते ही प्रमुख सचिव स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन ने आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से सभी स्थानांतरण व तैनाती आदेशों को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री ने उनके अनुरोध पर पूरे मामले की जांच कराने की भी बात कही है।

पहले जारी हुए आदेश, फिर की मंत्री से चर्चा 

मंत्री ने अपने पत्र में आईजी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्र में लिखा कि स्थानांतरण नीति के अनुसार, समूह ख व ग के तबादले से पहले विभागीय मंत्री से चर्चा की जानी थी। उन्होंने आईजी को बार-बार तैनाती प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, इसके बाद भी तबादले होने से पहले मुझे प्रस्ताव उपलब्ध नहीं कराए गए। 

आईजी ने 13 और 14 को तबादलों के आदेश जारी कर दिए और इसके बाद 15 जून को मुझसे केवल सतही चर्चा की। इसके बाद आईजी ने कह दिया कि उप निबंधकों व निबंधन सहायकों का स्थानांतरण करना मेरा अधिकार है। 

आपसे पुनः चर्चा का कोई औचित्य नहीं है और जल्दबाजी में तैनाती पर अनुमोदन लिए बिना चले गए। फिर अपना मोबाइल स्विच आफ कर लिया। मुख्यालय में उनके बारे में पता कराने पर स्टाफ द्वारा उनकी उपलब्धता के बारे में सही-सही सूचना नहीं दी और भ्रमित किया गया।

नियमानुसार किए गए तबादले

समीर वर्मा आईजी निबंधन समीर वर्मा ने मंत्री के लगाए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सभी तबादले स्थानांतरण नीति के तहत किए गए हैं। तबादलों में नियमों और दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है।