लखनऊ: खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) और केंद्र की टीम मिलकर कफ सीरप बनाने वाली कंपनियों में दवा निर्माण का रिकार्ड, कितनी दवा कंपनी को वापस हुई, कंपनी का कितनी बार निरीक्षण किया गया, उत्पादों की गुणवत्ता की कब-कब जांच हुई, जैसे मानकों की जांच करेंगे।
कंपनियों में उच्च जोखिम वाली दवाओं के निर्माण की निगरानी के लिए जोखिम आधारित निरीक्षण (रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन) किया जाएगा। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इसके लिए गाइडलाइन जारी कर चुका है। कफ सीरप से मौत के मामले सामने आने के बाद छह राज्यों में इसी आधार पर जांच की गई है।
ड्रग कंट्रोलर शशि मोहन ने बताया कि केंद्र की टीम ने हापुड़ की ओमनी फार्मा का औचक निरीक्षण किया था। यहां से नमूने लेकर केंद्रीय प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए हैं। इसके अलावा कंपनी में दवा निर्माण से जुड़े दस्तावेज लिए गए हैं। यदि मानक के अनुसार कंपनी का संचालन या दवा निर्माण नहीं मिला तो कारण बताओ नोटिस, उत्पादन रोकने और लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया की जाएगी।
ओमनी फार्मा में जोखिम आधारित निरीक्षण किया गया था। इसमें दवा निर्माण इकाइयों के निरीक्षण में उत्पादन के तरीके और उत्पाद की गुणवत्ता मानकों की जांच की गई है। दवा आपूर्ति श्रृंखला की जांच का भी रिकार्ड लिया गया है। अन्य दवा निर्माण इकाइयों में भी इसी गाइड लाइन के अनुसार जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सीरप से बच्चों की मौत के बाद प्रदेश में दवा की दुकानों के साथ ही निर्माण इकाइयों की जांच भी शुरू की गई थी। प्रदेश में कुल 17 ऐसी कंपनियां मिली थीं, जो कफ सीरप बना रही थीं। जांच में पता चला था कि चार कंपनियों ने कफ सीरप का निर्माण बंद कर दिया था, लेकिन इसकी सूचना एफएसडीए को नहीं थी।
जांच के दौरान ही इसकी जानकारी मिली थी। जो कंपनियां कफ सीरप बना रही थीं, उनके कच्चे माल और बने हुए उत्पादों के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। कुल 913 नमूने दवा की दुकानों और निर्माण इकाइयों से लिए गए थे। इनमें से 63 की जांच रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है।