जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा अमायरा की मौत मामले में जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। शिक्षा विभाग की टीम ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। जो आज राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही जांच के दौरान सामने आए कुछ खुलासों ने इस पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है।
बता दें कि चौथी मंजिल से गिरकर अमायरा की मौत हो गई थी। प्रारंभिक तौर पर इस घटना को आत्महत्या या दुर्घटना बताया गया। लेकिन परिजनों ने स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया। उनका कहना है कि स्कूल ने न सिर्फ लापरवाही की, बल्कि घटना के बाद सच को छिपाने की कोशिश भी की।
क्लासमेट्स का खुलासा
शिक्षा विभाग की जांच टीम ने अमायरा की कक्षा के कई छात्रों से बातचीत की। इस दौरान दो छात्रों ने बताया कि घटना वाले दिन अमायरा ने खुद कहा था कि वह स्कूल नहीं आना चाहती थी। एक नौ साल की बच्ची का ऐसा कहना जांच टीम के लिए अहम संकेत साबित हुआ है। यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर उसे स्कूल जाने से झिझक क्यों हो रही थी, क्या वह किसी डर या दबाव में थी?
फिलहाल, टीम अब इस बयान की पुष्टि के लिए अमायरा के माता-पिता और करीबी रिश्तेदारों से भी पूछताछ करने की तैयारी में है। जांच अधिकारी यह समझना चाहते हैं कि क्या अमायरा को पहले से कोई मानसिक परेशानी थी या उसे स्कूल में कोई परेशान कर रहा था।
बुलिंग के आरोपों से घिरा स्कूल
अमायरा के परिवार ने स्कूल प्रबंधन पर बुलिंग के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि अमायरा को लंबे समय से कुछ बच्चे परेशान करते थे। परिजनों का दावा है कि उन्होंने इस बारे में सितंबर में स्कूल प्रशासन से शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इतना ही नहीं, एक साल पहले भी परिवार ने इसी तरह की शिकायत दर्ज कराई थी, मगर स्कूल ने उसे नजरअंदाज कर दिया।
जांच में बैड वर्ड का जिक्र
जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) रामनिवास शर्मा, जो इस जांच टीम के अध्यक्ष हैं, ने शुरुआती रिपोर्ट में बताया कि कक्षा में कुछ बच्चे एक-दूसरे के साथ बैड वर्ड यानी अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करते थे। दो छात्रों ने इसकी शिकायत क्लास टीचर से भी की थी। सीसीटीवी फुटेज में यह देखा गया कि टीचर सभी बच्चों को समझा रहे हैं।









