रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में भवन नक्शा पास करने से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने स्पष्ट रुख में कहा कि पंचायत राज अधिनियम से शासित ग्रामीण इलाकों में भवन योजना स्वीकृत करने का अधिकार रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (RRDA) को नहीं है। जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने कई रिट याचिकाओं पर संयुक्त सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया।
RRDA Vice-Chairman का आदेश रद्द
कोर्ट ने RRDA उपाध्यक्ष के उस आदेश को अवैध करार दिया, जिसमें याचिकाकर्ता के भवन को ध्वस्त करने और सील लगाने के निर्देश दिए गए थे। अदालत ने कहा कि यह कार्रवाई अधिकार क्षेत्र के बिना की गई थी, इसलिए इसे तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाता है। साथ ही अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा जारी आदेश को भी Court ने निरस्त कर दिया, क्योंकि वह भी अधिकार क्षेत्र के बाहर पारित किया गया था।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकार केवल पंचायत प्रणाली के पास
कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि 10 मई 2001 से लागू झारखंड पंचायत राज अधिनियम-2001 के तहत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में झारखंड क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण अधिनियम स्वतः लागू नहीं होता। संविधान की 11वीं अनुसूची और भाग-IX के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का विनियमन पंचायत प्रणाली का अधिकार है, न कि RRDA का।
सीलिंग हटाने और हर्जाने का आदेश
हाईकोर्ट ने RRDA द्वारा याचिकाकर्ता की संपत्ति को सील करना गैरकानूनी बताया और तत्काल प्रभाव से सील हटाने व संरचना खोलने का आदेश दिया। अदालत ने RRDA अधिकारियों पर ₹1000 का सांकेतिक हर्जाना भी लगाया तथा कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे, तो वह नुकसान की भरपाई के लिए सिविल मुकदमा दायर कर सकता है।









