हम सभी जानते हैं कि राजा धृतराष्ट्र को महाभारत का युद्ध देखना था तो संजय ने अपनी दिव्य दृष्टि का इस्तेमाल करके उनको युद्ध के हर पल की जानकारी दी थी. कुछ ऐसा ही कानपुर पुलिस भी शुरू करने जा रही है. कानपुर पुलिस ने एक अनोखा प्रोजेक्ट ‘दिव्य दृष्टि’ शुरू किया है. इसके माध्यम से हिस्ट्रीशिटरों की गूगल लोकेशन का इस्तेमाल करके उनके ऊपर हर पल नजर रखी जाएगी.
ये भी बता दें कि जिनके ज्यादा अपराध होते हैं, उनकी निगरानी के लिए पुलिस रेगुलेशन एक्ट में पारंपरिक व्यवस्थाएं दे रखी है. उनका ही इस्तेमाल करके हिस्ट्रीशीटरों की निगरानी की जाती है. अब बदलते परिवेश के साथ कानपुर पुलिस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके हिस्ट्रीशीटरों पर पल-पल की निगरानी कर पाएगी. इसके लिए ही प्रोजेक्ट ‘दिव्य दृष्टि’ शुरू किया गया है. इस प्रोजेक्ट में अपराधियों के मोबाइल जीपीएस और गूगल की लोकेशन का इस्तेमाल किया जाएगा.
हिस्ट्रीशीटरों से भरवाया जाएगा ये पत्र
इसके लिए गूगल मैप का इस्तेमाल किया जाएगा और अपराधियों की गूगल लोकेशन पुलिस के पास रहेगी. प्रत्येक थाने में एक टीम गठित की गई है, जो इसकी निगरानी थाने में मौजूद लैपटॉप और इंटरनेट के माध्यम से करेगी. पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने बताया कि किसी की निजता भंग न हो, इसके लिए हिस्ट्रीशीटरों से सहमति पत्र भरवाया जाएगा कि उनको अपनी मॉनिटरिंग करवाने में कोई आपत्ति नहीं है. अगर किसी को आपत्ति होगी तो उसकी मॉनिटरिंग इस अभियान के तहत नहीं की जाएगी.
अभियान में दिक्कतों से निपटने की भी तैयारी
इस अभियान में आने वाली दिक्कतों से निपटने के लिए भी पुलिस ने तैयारी कर ली है. कोई अपराधी अपना फोन किसी और को देकर या अपने घर में रखकर नहीं जा सकता है. इसके लिए पुलिस बीच-बीच में अपराधी से वीडियो कॉल भी करेगी. हो सकता है कई जगह इंटरनेट की दिक्कत हो, लेकिन फिर भी शहरी क्षेत्रों में यह दिक्कत नहीं आएगी. यह अभियान प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है और समय के साथ इसमें सुधार किया जाएगा. प्रारंभिक तौर पर सभी थाना प्रभारी 50 हिस्ट्रीशीटरों से शुरुआत करेंगे.
अपराधी के घर जाए बिना होगी उसकी निगरानी
इस अभियान से पुलिस बिना किसी अपराधी के घर पर जाए उसकी निगरानी कर सकेगी. इसके साथ ही इस अभियान से उन अपराधियों को फायदा मिलेगा, जो अपराध की दुनिया छोड़ चुके हैं, लेकिन पुलिस के पास समय-समय पर जाने से परेशान होते हैं. पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने बताया कि दूसरे चरण में विदेशों की तर्ज पर ankle/wrist device लगाने पर विचार किया जाएगा, जिसमें गूगल लोकेशन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी.