भोपाल: मध्य प्रदेश में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल अपनी नई टीम के ऐलान से पहले संगठन और सत्ता में मजबूत तालमेल के फार्मूले को अमल में ला रहे हैं. कार्यकर्ताओं के सामने संगठन के पदाधिकारियों से लेकर विधायक, मंत्री और सांसदों सबकी हाजिरी लगाई जाए, इसका कैलेण्डर तैयार किया जा रहा है.
पूरे प्रदेश में बीजेपी के सांसद, विधायक और जिलाध्यक्षों के लिए तो ये अनिवार्य कर दिया गया है कि वे हफ्ते में एक दिन कार्यकर्ताओं और जनता से मुलाकात करेंगे. उनके गृह जिले बैतूल से इसकी शुरुआत हो गई है. पूरे 21 साल बाद फिर से सरकार के मंत्री भी पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का समाधान शिविर लगाएंगे. इसका खाका भी तैयार हो रहा है. 2004 में कैलाश जोशी के प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में ऐसा प्रयोग बीजेपी पहले भी कर चुकी है.
कार्यकर्ता की सुनवाई सबसे पहले करें सांसद विधायक
बीजेपी की दो दशक से ज्यादा की सत्ता में एक शिकायत कार्यकर्ताओँ के बीच आम हो रही थी कि कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती. मध्यप्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष का पद संभालते ही हेमंत खंडेलवाल का पूरा जोर कार्यकर्ताओँ की संतुष्टि पर है. बीस दिन के भीतर ही उन्होने तय कर दिया है कि जिला कार्यालयों में जिलाध्यक्ष के अलावा सांसद और विधायक कार्यकर्ताओं से संवाद के लिए अलग से समय देंगे.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल का कहना है कि संगठन के जितने जिले हैं वहां जिलाध्यक्ष हफ्ते का एक दिन जिला कार्यालय में आम लोगों और कार्यकर्ताओं की सुनवाई करेंगे. उनके साथ ही सांसद और विधायक भी बैठेंगे.
बैतूल से शुरू हुआ मॉडल बाकी जिलों में भी होगा लागू
हेमंत खंडेलवाल ने इसकी शुरुआत अपने गृह जिले बैतूल से कर दी है. यहां पर बीजेपी के जिला कार्यालय में जिलाध्यक्ष के अलावा विधायक, सांसद के दिन निर्धारित कर दिए गए हैं. यही प्रयोग प्रदेश के बाकी जिलों में भी किया जाएगा. इसके जरिए ना केवल कार्यकर्ताओं का अपने नेता से संवाद सुलभ होगा. आम जनता भी अपने जन प्रतिनिधि तक अपनी समस्याएं पहुंचा सकेगी. जिलाध्यक्षों के साथ हुई बैठक में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा था कि अभी जिला अध्यक्ष अपना ज्यादातर समय भोपाल में बिताते हैं. लेकिन अब उन्हे बाकी का समय प्रवास पर और अपने जिले में कार्यकर्ताओं और जनता से संवाद में देना होगा.
मंत्री मुख्यालय हाजिर हों, क्या होगा अमल ?
जानकारी के मुताबिक प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलावाल अपनी ही पार्टी के 21 साल पुराने फार्मूले को फिर अमल में ला सकते हैं. इसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है. अब मंत्रियों का बीजेपी मुख्यालय में भी बैठने का दिन तय कर दिया जाएगा ताकि कार्यकर्ता और जनता के लिए उनकी उपलब्धता रहे. इसके साथ ही मंत्रियों को भी जमीनी हकीकत पता चल सकेगी और संगठन सत्ता के बीच समन्वय मजबूत हो सकेगा.
इसमें पार्टी एक तरफ सरकार की योजनाओं को बेहतर ढंग से कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच सकेगी. वहीं दूसरी तरफ इसके अमल में कहां दिक्कत है, कार्यकर्ताओं के जरिए पार्टी तक ये फीडबैक भी आ सकेगा. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर बताते हैं "ये प्रयोग पार्टी 2004 में कर चुकी है, तब एक तरीके से ये संदेश दिया गया था कि संगठन सर्वोपरि है. तब सत्ता और संगठन दो शक्ति केन्द्र बन रहे थे. लेकिन अभी स्थिति दूसरी है."
मध्य प्रदेश में कोई दूसरे दल से पहले भाजपा का कार्यकर्ता ही चुनाव हराता है
" लेकिन ये प्रयोग इसलिए कारगर है कि इसी के जरिए बीजेपी अपने कैडर को मजबूत करेगी. जो पार्टी की सबसे बड़ी ताकत है. अगर कार्यकर्ता बीजेपी में संतुष्ट हो गया तो ये तय मानिए कि फिर पार्टी की चुनावी राजनीति दिन ब दिन मजबूत होने वाली है. बीजेपी को कम से कम मध्य प्रदेश में कोई दूसरे दल से पहले पार्टी का कार्यकर्ता चुनाव हराता है. इस लिहाज से देखें तो हेमंत खंडेलवाल इस शांति काल में पार्टी की जड़ की मजबूती में जुटे हैं."