रामायण में यह उल्लेख है कि जब भगवान राम ने लंका जाने का निर्णय किया तो सबसे बड़ी बाधा के रूप में समुद्र उनके सामने थे। भगवान राम और उनकी वानर सेना सहित सभी ने अंत में यह निर्णय लिया कि क्यों समुद्र को पार करने के लिये राम सेतु (पुल) बनाया जाए। लेकिन समस्या यह थी कि इस काम को अंजाम दिया जाना कैसे संभव होगा। ऐसे में नल और नील जो राम की वानर सेना के सदस्य थे उनका इस काम का जिम्मा दिया गया कि वह समुद्र में पत्थर चïट्टानों से राम सेतु का निमार्ण करेंगे। चूंकि उन्हें ऋषियों का श्राप था कि वह जो कुछ भी पानी में डालेंगे वह डूबेगा नहीं और ऐसे में यह भी निर्णय किया गया कि प्रत्येक पत्थर पर जब राम का नाम लिख दिया जाएगा तो वह राम सेतु कहलायेगा। मध्यप्रदेश के एक मूर्तिकार जो कि ग्वालियर के हैं उन्होंने इस वास्तविक जीवन में सच कर दिखाया है। यह मूर्तिकार हैं दीपक विश्वकर्मा। दीपक विश्वकर्मा ने 45 किलो के पत्थर को तराशकर 4.5 किलो की कुछ साल पहले भगवान राम परिवार के साथ ऐसी एक नाव बनाई है जो पानी में तैरती है।
वैज्ञानिक युग में भी क्या यह संभव है…
आज के वैज्ञानिक युग में भी क्या यह सब संभव है। जाहिर है कि यह हो नहीं सकता। लेकिन मध्यप्रदेश के एक मूर्तिकार जो कि ग्वालियर के हैं उन्होंने इस वास्तविक जीवन में सच कर दिखाया है। यह मूर्तिकार हैं दीपक विश्वकर्मा। दीपक विश्वकर्मा ने 45 किलो के पत्थर को तराशकर 4.5 किलो की कुछ साल पहले भगवान राम परिवार के साथ ऐसी एक नाव बनाई है जो पानी में तैरती है। चूंकि अब 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की पूरी दुनिया में जमकर चर्चा है तो दीपक विश्वकर्मा की बनाई गई यह नाव खूब चर्चा में है। दीपक विश्वकर्मा की इस नाव में भगवान राम के साथ लक्ष्मण, जानकी और केवल की प्रतिमाएं हैं। दीपक चाहते हैं कि उनकी बनाई यह नाव अब अयोध्या के राम मंदिर प्रांगण में स्थापित हो ताकि श्रद्धालू राम परिवार के दर्शन कर सकें। दीपक विश्वकर्मा न जानकारी दी है कि 22 जनवरी को अयोध्या में कई कलाकारों ने मिलकर आर्ट एंड कल्चर सेंटर में इनकी इस कलाकृति का प्रदर्शन करने का फैसला भी किया है। राम परिवार के साथ इस नाव को पानी में चलाकर भगवान राम की पूजा अर्चना भी की जाएगी।
सिंधिया बोले यह चमत्कार है
मिली जानकारी के अनुसार कुछ वर्ष पहले केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इसे पानी ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा पुर्नविकसित रिजनल आर्ट एंड क्राफ्ट डिजायन सेंटर पर पहुंचे थे। यहां दीपक विश्वकर्मा ने सिंधिया से पत्थर से बनी नाव को पानी मे उतारने का निवेदन किया। पहले तो सिंधिया यह सुन अचंभित हुए। फिर उन्होंने नाव को बारीकी से देखा परखा ओर पानी में जैसे ही उतारा, वह तैरने लगी। यह देख सिंधिया बोले यह चमत्कार है। ग्वालियर के इस मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा को राष्ट्रपति सम्मानित कर चुके हैं।