भोपाल। मध्य प्रदेश में फर्जी वोटर लिस्ट को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के बीच वार-पलटवार शुरू हो गया है। प्रदेश में वोटर लिस्ट को लेकर बहस छिड़ गई है क्योंकि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराए जा रहे। सॉफ्टवेयर वेरिफिकेशन में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें एक पते पर 50 से ज्यादा वोटर्स रजिस्टर्ड हैं।
बीजेपी-कांग्रेस में वार-पलटवार
इस मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का कहना है कि पिछले चुनाव में वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की शिकायत उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग से की थी और कोर्ट में की थी। ये पूरा मामला जांच का विषय है. जब बिहार में वेरिफिकेशन हो रहा है तो मध्य प्रदेश में भी वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए।मध्य प्रदेश शासन में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाती रही है। उन्होंने आगे कहा कि ‘नाच ना जाने आंगन टेढ़ा’, जनता के बीच काम नहीं करते फिर हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ देते हैं।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में वोटर लिस्ट में फर्जीवाड़ा सामने आया है। जहां एक ही पते पर कई वोटर्स रजिस्टर्ड है। राज्य निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में 1696 पते ऐसे हैं जहां 100-100 वोटर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से कई पते ऐसे भी हैं जहां 50 से ज्यादा वोटर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 917 पते ऐसे हैं जो निकाय क्षेत्र में रजिस्टर्ड हैं, बाकी बचे हुए पते पंचायत क्षेत्रों में दर्ज हैं।
कैसे हुआ खुलासा?
मध्य प्रदेश में उपचुनाव होने वासे हैं। इसके लिए राज्य चुनाव आयोग मतदाता सूची तैयार कर रही है और अपडेटेशन कर रही है। इस दौरान आयोग को वोटर लिस्ट में गड़बड़ी दिखाई। एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक डेवलपमेंट कार्पोरेशन (MPSEDC) के सॉफ्टवेयर से जब मतदाता सूचियों का मिलान किया गया तो हजारों की संख्या में संदिग्ध पते सामने आए।