ग्वालियर । हाई कोर्ट की युगल पीठ ने सोमवार को प्रदेश के 70 नर्सिग कालेजों को दी गई मान्यता व संबद्धता की जांच सीबीआइ को करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जांच के लिए छह सप्ताह का समय दिया है। अब सीबीआइ को जांच करनी है कि कालेजों को जो मान्यता व संबद्धता दी गई है, उसमें नर्सिंग काउंसिल, मध्य प्रदेश नर्सिग रजिस्ट्रेशन काउंसिल व मेडिकल यूनिवर्सिटी जलबपुर ने वर्ष 2017 की गाइडलाइन का पालन किया है या नहीं। मान्यता देने में क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। सोमवार को याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित आर्या व सत्येंद्र कुमार सिंह ने की। 21 फरवरी को याचिका फिर से लिस्ट की जाएगी। ज्ञात है कि हाई कोर्ट ने 28 सितंबर 2022 को अंचल की 35 कालेजों की याचिका की सुनवाई करते हुए सीबीआइ जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा कि नर्सिग कालेजों को दी जाने वाली संबद्धता व मान्यता का मामला एक बड़ा घोटाला है। प्रथमदृष्टया मान्यता, संबद्धता देने में गड़बड़ी पाई है, इसलिए इंडियन नर्सिग काउंसिल, मध्य प्रदेश नर्सिग रजिस्ट्रेशन काउंसिल व मेडिकल यूनिवर्सिटी जलबपुर के अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए। इस आदेश को 35 कालेजों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। कालेजों का तर्क था कि उनकी जांच हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई और जांच के आदेश रोक लग गई, इस कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ जांच नहीं हो सकी। अब 35 कालेजों की याचिकाएं फिर से सोमवार को हाई कोर्ट में सुनवाई में आई, जिसमें 201 कालेजों को सुप्रीम कोर्ट से राहत की जानकारी दी गई। हाई कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट कर दिया कि 201 कालेजों को छोड़ दिया जाए, जिनकी कमेटी जांच कर चुकी है। 70 कालेज बचे हैं, उनकी सीबीआइ जांच की जाए। सीबीआइ की ओर से पैरवी अधिवक्ता राजू शर्मा ने की।
हाई कोर्ट के संज्ञान में ऐसे आया मामला
अंचल के 35 कालेजों ने शिक्षण सत्र 2019-20 के विद्यार्थियों का नामांकन कराकर परीक्षा कराने की मांग को लेकर 2021 में याचिका दायर की थी। कालेजों का तर्क था कि कोविड-19 के चलते आधे विद्यार्थी नामांकन नहीं करा सके हैं। मेडिकल यूनिवर्सिटी ने कुछ कालेजों को अनुमति दे दी है, लेकिन हमें अनुमति नहीं दे रहे हैं। जब हाई कोर्ट ने इन कालेजों का मध्य प्रदेश नर्सिग काउंसिल व मेडिकल यूनिवर्सिटी से रिकार्ड तलब किया तो काफी कमियां मिलीं।