इंदौर में गूंजेगा ‘छठ मइया’ का जयकारा, सूर्य उपासना के लिए 150 घाटों पर सजी तैयारियां

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इंदौर: दीपावली की रोशनी ढलते ही मालवा की धरती पर अब पूर्वांचल की आस्था की ज्योति प्रज्वलित होने लगी है. इंदौर में बसे बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के हजारों परिवार सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए हैं. शहर के मोहल्लों और बस्तियों में इन दिनों केलवा के पात पर उगेल भइल सुरजदेव जैसे लोकगीत गूंज रहे हैं, और वातावरण पूरी तरह छठमय हो उठा है.

छठ महापर्व का शुभारंभ इस वर्ष 25 अक्टूबर, शनिवार को 'नहाय-खाय' के साथ होगा. दूसरे दिन 26 अक्टूबर (रविवार) को 'खरना' का व्रत रखा जाएगा. इसके बाद तीसरे दिन 27 अक्टूबर (सोमवार) को श्रद्धालु तालाबों और जलाशयों में खड़े होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. महापर्व का समापन 28 अक्टूबर मंगलवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा. इंदौर में इसे लेकर मेयर इन काउंसिल के सदस्य राजेंद्र राठौर द्वारा पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के पदाधिकारियों के साथ विजय नगर छठ घाट का निरिक्षण किया और घाट पर विभिन्न संसाधन जुटाने के निर्देश दिए गए.

150 से अधिक घाटों पर होगा आयोजन
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह और महासचिव केके झा ने बताया कि, ''इस वर्ष शहर में लगभग 150 से अधिक स्थानों जैसे स्कीम नंबर 54, 78, बाणगंगा, सुखलिया, श्याम नगर, तुलसी नगर, समर पार्क, अमृत पैलेस, पिपलियाहाना, कालानी नगर, निपानिया, सिरपुर, खजराना, देवास नाका, एरोड्रम रोड, राऊ, और पीथमपुर पर छठ घाटों का निर्माण और सजावट की जा रही है.''

शहर की विभिन्न छठ पूजा समितियां इन घाटों की सफाई, रंग-रोगन, और सजावट में पूरी तन्मयता से जुटी हैं. आयोजन समितियों के पदाधिकारियों ने सभी जिम्मेदारियां सौंप दी हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो. इस वर्ष भले ही बिहार में 6 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने के कारण काफी संख्या में श्रद्धालु अपने गृह राज्य लौट गए हों, फिर भी इंदौर में ढाई से तीन लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है.

 

 

    सार्वजनिक अवकाश की मांग, छठ अब राष्ट्रीय पर्व बन चुका है
    पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान ने प्रदेश सरकार से 27 अक्टूबर (सांध्य अर्घ्य के दिन) सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है. संस्थान का कहना है कि छठ अब केवल बिहार या पूर्वांचल तक सीमित नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय और वैश्विक पर्व बन चुका है. संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि देश के कई राज्यों में छठ पर्व पर अवकाश घोषित किया जा चुका है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी छठ पर्व को यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल करने के प्रयासों की घोषणा की है, जिससे इस पर्व की गरिमा और भी बढ़ गई है.

    मुख्य तालाबों पर भव्य घाटों की मांग
    संस्थान के अध्यक्ष जगदीश सिंह ने जिला प्रशासन और नगर निगम से आग्रह किया है कि बढ़ती श्रद्धालु संख्या को देखते हुए पिपलियाहाना, निपानिया, सिरपुर, खजराना, टिगरिया बादशाह और पिपलियापाला तालाबों पर स्थायी एवं भव्य छठ घाटों का निर्माण कराया जाए. इससे हर वर्ष श्रद्धालुओं को पूजा में सुविधा मिलेगी और आयोजन की भव्यता भी बढ़ेगी.