भोपाल । चीता प्रोजेक्ट के बाद मध्यप्रदेश पर्यटन की नई इबारत लिखेगा। प्रदेश में हर साल औसतन 10 लाख से ज्यादा देशी-विदेशी पर्यटक अकेले नेशनल पार्क और सेंंचुरी में वन्य जीवन के दीदार करने आते हैं। इनसे सरकार को प्रवेश शुल्क के रूप में 30 करोड़ रुपए से ज्यादा की आय होती है। अब चीता आने के बाद टूरिज्म को पंख लगेंगे। रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। दरअसल श्योपुर से शिवपुरी, ग्वालियर, अशोकनगर, मुरैना के साथ राजस्थान के करौली, सवाईमाधोपुर, बारां तक चीतों का भ्रमण क्षेत्र होगा। यह पूरा क्षेत्र तीन हजार वर्ग किलोमीटर का होगा।
चीता आने के बाद टूरिज्म को पंख लगेंगे
ऐसे में दिल्ली, आगरा, जयपुर, रणथम्भौर ;सवाईमाधोपुर घूमकर चले जाने वाले पर्यटक चीता देखने के लिए कूनो नेशनल पार्क भी आएंगे। इससे मध्यप्रदेश और राजस्थान में पर्यटन से जुड़े कारोबार में इजाफा होगा। फिर यहां से खजुराहो व आगे पन्ना और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी पर्यटकों की पसंद होंगे। दूसरा मध्यप्रदेश को हाल ही में मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का नेशनल अवॉर्ड मिला है। चूंकि भारत समेत कई देशों में चीते नहीं हैं ऐसे में फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद भी मध्यप्रदेश ही होगा।
पर्यटन की आपार संभावनाएं
मप्र में पर्यटन की आपार संभावनाएं हैं। नर्मदापुरम जिले में स्थित सतपुड़ा टाइगर रिजर्व यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में है। पेंच टाइगर रिजर्व की सर्वोच्च रैंक है। दुनियाभर के वन्यजीव प्रेमी सराहते हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व ने शून्य से शुरू होकर अब 30 से ज्यादा बाघ हासिल किए। बांधवगढ़ ने पयर्टन से मिली राशि से ईको विकास समितियों को प्रभावी ढंग से पुनर्जीवित किया है। 15.65 लाख देशी और विदेशी सैलानी पहुंचे 2021.22 में मध्यप्रदेश के पयर्टन स्थलों को निहारने।