Friday, December 13, 2024
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अपने ही सवालों में घिरते नजर आ रहे सीएम शिवराज

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बेला शुरू हो गई है, तो राजनीतिक दलों द्वारा एक-दूसरे पर अरोप-प्रत्यारोप लगाना लाजिमी है। दिनोंदिन यह सिलसिला बढ़ता जाएगा। लोकतंत्र की बात करें, तो विपक्ष, जनता और मीडिया सरकार से सवाल करते हैं। यही लोकतंत्र की खूबसूरती भी है, लेकिन मध्य प्रदेश की बात करें, तो यहां गंगा उलटी बह रही है। यहां सरकार विपक्ष से सवाल पूछ रही है और मुंह की भी खा रही है। दरअसल, मप्र में पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार से सवाल पूछने का सिलसिला शुरू किया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ रोजाना सरकार से एक सवाल पूछते थे। इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक सलाहकार ने उन्हें सलाह दी कि इससे पहले कांग्रेस सवाल पूछना शुरू करें, हम पहले ही कांगे्रस से सवाल पूछना शुरू कर देते हैं और एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के पिछले वचन पत्र से रोजाना एक सवाल पूछना शुरू कर दिया, जिसका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने उन्हीं की भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया। अब सीएम शिवराज परेशान है, क्योंकि उनके पास सवाल पूछने के लिए कांग्रेस का सिर्फ एक वचन पत्र है और वह सिर्फ 15 महीने सरकार में रही है, जबकि बीजेपी करीब 18 साल से सत्ता में है और कांग्रेस के पास वर्ष 2003 से लेकर 2019 तक भाजपा के चार घोषणा हैं। इन घोषणा पत्रों में सैकड़ों ऐसी घोषणाएं जिन पर अमल नहीं किया जा सका और उनको लेकर कांग्रेस सीएम शिवराज को घेर रही है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि सीएम शिवराज द्वारा कमलनाथ से रोजाना सवाल पूछने के सिलसिले से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व खुश नहीं है, क्योंकि कांग्रेस को इसका सबसे बड़ा फायदा यह मिल रहा है कि कमलनाथ की प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री के सवाल के साथ समाचार पत्रों में रोजाना स्थान पा रही है। दूसरा, भाजपा की पिछले चुनावों की गई अधूरी घोषणाओं की जानकारी जनता को मिल रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक पीयूष बबेले का कहना है कि किसी भी सरकार का घोषणा पत्र पांच साल के लिए होता है। हर सरकार की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। जैसे कमलनाथ सरकार की प्राथमिकता किसान कर्ज माफी थी, तो मुख्यमंत्री का पद संभालने के साथ ही उन्होंने पहला आदेश किसान कर्ज माफी का आदेश जारी किया था। किसान कर्ज माफी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी कि भाजपा ने खरीद-फरोख्त कर सरकार गिरा दी। ऐसे ही हमने 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली देने, वृद्धावस्था-विधवा पेंशन दोगुनी करने, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की राशि बढ़ाकर 51 हजार करने आदि वादों को पूरा किया था। अगर सरकार पांच साल चलती, तो वचन पत्र के बाकी वादे भी सरकार एक-एक करके पूरा करती। उन्होंने कहा, मजेदार बात यह है कि 18 साल के मुख्यमंत्री 15 महीने रहे मुख्यमंत्री से सवाल कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस वचन पत्र में झूठे वादे करके सत्ता में आ गई थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद कमलनाथ वचन पत्र के वादे पूरे करने की बजाय खजाना खाली करने का रोना रोते रहे। कमलनाथ की सरकार में भ्रष्टाचार का केंद्रीकरण हो गया था। मंत्री-विधायक हाशिये पर चले गए थे, कमलनाथ से जुड़े कुछ दलाल सरकार चला रहे थे। ऐसे में सीएम शिवराज कमलनाथ से सवाल पूछकर कुछ गलत नहीं कर रहे हैं।

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