भोपाल। देश में प्रधानमंत्री मोदी की लहर है । मध्य पदेश में तो कांग्रेस का क्लीन स्वीप होना तय हैं । हम प्रदेश की 29 लोकसभा सीट जीत रहे हैं । प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए है । जबकि कांग्रेस को प्रदेश में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं । यह बात मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जबलपुर में कही । उन्होंने कांग्रेस पर बडा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस का सूरज डूब रहा है, कांग्रेस की असलियत जनता पहचान चुकी है और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस गर्त में चली जाएगी । उन्होंने कहा इस बार 400 पार का नारा सच साबित होगा। मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश के सीधी में रानी अवंति बाई बलिदान दिवस के मौके पर देश का पहला नामांकन फार्म दाखिल किया गया है। मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव की तरफ बढ़ रहे हैं। चुनाव को लेकर प्रदेश की जनता का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। डॉ यादव ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में एक बार फिर प्रदेश और देश में बड़ी जीत की और भाजपा बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जो टारगेट लेकर हम चल रहे है, उसे पूरा भी कर रहे है। मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार तेजी से विकास की और बढ़ रही है।
इंदौर- रीवा सहित कई लोकसभा सीटों में प्रत्याशी का संकट
रीवा महापौर अजय मिश्रा भी चुनाव लड़ने के मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। पार्टी ने उनका इकलौता नाम रीवा से तय किया है। विंध्य की इस सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का प्रभाव था। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तिवारी के नाती सिद्धार्थ तिवारी को प्रत्याशी बनाया था लेकिन विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ को कांग्रेस ने टिकट नहीं दी तो वह भाजपा में शामिल हो गए। अब त्यौंथर से विधायक हैं।
इंदौर में संजय शुक्ला, विशाल पटेल और सत्यनारायण पटेल तीनों ही पूर्व विधायकों ने लोकसभा चुनाव से हाथ खींच लिया है। कांग्रेस प्रयास कर रही है कि अश्विन जोशी पूर्व विधायक या स्वप्निल कोठारी में से किसी एक को इंदौर से चुनाव लड़ाया जाए। अश्विन और कोठारी दोनों ही धनाढ्य है इसलिए कांग्रेस चाहती है कि ऐसे व्यक्ति को टिकट दी जाए, जो चुनाव का खर्च उठाने में सक्षम हो। वे यह भी नहीं चाहते कि हार का ठीकरा उनके सिर पर फूटे।
भोपाल में दिग्विजय ने हाथ खींचा, अब नया चेहरा लाने की तैयारी
भोपाल में कांग्रेस के पास कोई चर्चित चेहरा नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मप्र में कमल नाथ सरकार थी। इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया था, लेकिन इस बार वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस सैन्य प्रकोष्ठ के श्याम बाबू श्रीवास्तव पर दांव लगाने पर विचार कर रही है।
कांग्रेस के नेताओं-कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं
सीधी से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल हों या सज्जन सिंह वर्मा, दोनों ही लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाने को तैयार नहीं हैं। खजुराहो में भी प्रत्याशी न होने के चलते कांग्रेस ने यह सीट समाजवादी पार्टी को दे दी। दरअसल, पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का लोकसभा में प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है। 2019 में कांग्रेस को 29 में से एक और 2014 में दो सीट मिली थी। इस बार भाजपा ने 29 में 29 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, इसलिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं दोनों में ही उत्साह नहीं है।