भोपाल । इस बार दीवाली पर्व के अवसर पर करीब प्रदेश में ढाई हजार मेगावाट से अधिक की बिजली की मांग में वृद्वि हो सकती है। यह मांग पांच दिनों तक रहने की संभावना है। इस अनुमान के आधार पर प्रदेश का बिजली विभाग द्वारा 11 हजार मेगावाट बिजली की व्यवस्था की जा रही है, जिससे की इस दौरान किसी को भी अंधेरे में नहीं रहना पड़े। यह बात अलग है कि अब तक प्रदेश में इस त्यौहार को लेकर जो बिजली की खपत का जो ट्रेंड रहा है वह काम खपत का रहा है, लेकिन फिर भी बिजली महकमे ने अतिरिक्त रुप से बिजली उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। दरअसल बिजली विभाग का अनुमान है कि धनतेरस पर दो हजार मेगावाट की अतिरिक्त रुप से जरूरत होगी। इस हिसाब से बिजली कंपनी ने व्यवस्था बनाई है। बिजली का प्रदेश के किसी हिस्से में संकट नहीं होगा, बल्कि पूरे प्रदेश को रोशन रखने के लिए पर्याप्त बिजली मिलेगी।
साथ ही दिवाली बाद रबी सीजन के लिए बढऩे वाली मांग के लिए भी प्रबंध करने का काम किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार धनतेरस और दिवाली पर बिजली की आपूर्ति प्रभावित न हो, इसके लिए प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों ने एक्शन प्लान भी तैयार कर लिया है। विभाग का दावा है कि इस त्यौहार पर लाइनमैन और फील्ड स्टाफ के साथ ही कार्यालयीन स्टाफ भी मैदान में सक्रिय रहेगा, जिससे की कहीं कोई हो जाए तो उसे तत्काल ठीक किया जा सके।
दीवाली के त्यौहार के समय का अगर बीते सालों का ट्रेंड देखें तो बिजली की खपत बढऩे की जगह कम हो जाती है। यह जानकार आप अंचभित हो सकते हैं , लेकिन यह सच है। रोशनी के त्योहार दीपावली पर बिजली भरपूर देने के बावजूद प्रदेश में मांग का आंकड़ा सामान्य दिनों की अपेक्षा कम ही रहा है। इसकी मुख्य वजह होती है उद्योगों का बंद होना। मप्र पावर जनरेशन कंपनी के एक आला अफसर के मुताबिक दीवाली पर रोशनी जरूर होती है लेकिन ज्यादातर उद्योग उस वक्त बंद रहते हैं। पूजन के लिए फैक्ट्री में मशीनों को बंद किया जाता है। बिजली की डिमांड का बड़ा हिस्सा उद्योगों के लिए होता है। मशीन बंद होने से डिमांड भी कम होती है। घर-दुकानों में एलईडी लाइट की रोशनी होती है जिससे बहुत अधिक असर नहीं आता है।
बिजली महकमे का अनुमान है कि त्योहार पर बिजली की मांग में 20 से 25 प्रतिशत तक इजाफा हो सकता है। प्रदेश में जहां वर्तमान में बिजली की मांग साढ़े आठ हजार मेगावाट है, वहीं यह मांग धनतेरस पर साढ़े दस और दिवाली तक साढ़े 11 हजार मेगावाट पहुंचने का अनुमान है। दरअसल इसकी एक और वजह बताई जा रही है ,रबी सीजन की सिंचाई शुरू होना। जिसकी वजह से बिजली की मांग में वृद्धि होगी। बिजली कम्पनियों की माने तो इस रबी सीजन में प्रदेश में बिजली की मांग साढ़े 15 हजार मेगाबाट तक पहुंच सकती है।
त्यौहार और रबी सीजन में यदि बिजली की आपूर्ति कम होती है, तो बैंकिंग की गई बिजली को वापस लेने की तैयारी की गई है। दरअसल मांग कम रहने के समय प्रदेश द्वारा दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में बिजली की बैंकिंग की गई थी। जो धनतेरस के बाद से वापस ली जा सकती है।
दिवाली पर प्रदेश में बढ़ सकती है 25 सौ मेगावाट बिजली की मांग
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