भोपाल। शहरी क्षेत्रों में पट्टे पर दी जाने वाली जमीन पर अगर पट्टाधारक समय पर पट्टा नवीनीकरण की कार्यवाही नहीं करेगा तो यह मान लिया जाएगा कि उसने भू-खंड छोड़ दिया है। इसके लिए उसे एक बार सूचना दी जाएगी और अगर पट्टेदार पट्टे का नवीनीकरण फिर भी नहीं कराता है तो उसे अतिक्रमण कर्ता मानकर उसे भूखंड से बेदखल करने की कार्रवाई की जा सकेगी। इस तरह के नए प्रावधान राजस्व विभाग ने नजूल भूमि निर्वर्तन अधिनियम में किए हैं।
पट्टों को लेकर जारी नए नियमों में कहा गया है कि इस तरह की भूमि पर पर पट्टा अवधि के दौरान यदि कोई बदलाव नहीं किए गए हैं तो नवीनीकरण किए जाने पर नया पट्टा अभिलेख पंजीकृत हो जाएगा और जिन मामलों में भू अभिलेख की एंट्री विधि संगत है तो उसे भी भू अभिलेख एंट्री के रूप में नवीनीकृत किया जा सकेगा।
स्थायी पट्टे की अवधि खत्म होने पर लगेगी पेनाल्टी
स्थायी पट्टे की अवधि खत्म होने के बाद नवीनीकरण के लिए आवेदन करने पर विलंब माफी के लिए जो पेनाल्टी तय की गई है उसके अनुसार हर चूके हुए साल के लिए आवेदन तिथि को लागू बाजार मूल्य के 0.01 प्रतिशथ के मान से राशि जमा करना होगी। इसी तरह पट्टे की भू-भाटक राशि जमा नहीं किए जाने पर जो बकाया राशि देय है, उसमें देय राशि के वर्ष से पहले एक साल तक 12 प्रतिशत और उसके बाद भुगतान की जाने वाली तारीख तक 15 प्रतिशत वार्षिक ब्याज और बकाया राशि के दस प्रतिशत के मान से अर्थदंड जमा करना होगा।
इसमें यह भी कहा गया है कि अगर पट्टाधारक ने तय अवधि में निर्माण कार्य नहीं कराया है तो उसे एक बार में तीन साल की परमिशन तात्कालिक बाजार मूल्य के 0.5 प्रतिशत के मान से जमा करना होगी और अतिरिक्त अवधि खत्म होने के बाद बाजार मूल्य का 0.1 प्रतिशत चुकाना होगा। इसमें यह भी व्यवस्था की गई है कि पट्टे के नवीनीकरण के बाद निर्माण नहीं किए जाने पर तीन साल की अनुमति बाजार मूल्य का दस प्रतिशत शुल्क चुकाने के बाद दी जा सकेगी।