MP: अल्पवर्षा से फसलों को इस वर्ष भारी नुकसान हुआ है। इसको लेकर किसान खासे परेशान हैं। किसान बड़ी संख्या में कलेक्टोरेट पहुंचे। किसानों ने अल्पवर्षा से फसलों को हुए नुकसान पर जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे किसानों ने जमकर नारेबाजी करते हुए कार्यालय का ही घेराव कर डाला। दरअसल, पूरे जिले में खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन बारिश न होने के चलते बर्बाद हो चुकी है। किसान जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर फसलों का मुआवजा सहित राहत राशि और समय पर सिंचाई के लिए बिजली की मांग किए हैं।
मध्यप्रदेश में इस वर्ष बारिश अपेक्षा अनुरूप कम रही है, जिसके चलते निमाड़ क्षेत्र की मुख्य फसल सोयाबीन इस वर्ष पूरी तरह से बर्बाद हो चली है। पहले तो पानी की कमी और अब बिजली विभाग के सिंचाई हेतु रात के समय सात घंटे बिजली दिए जाने से किसान नाराज हैं, जिसको लेकर सैकड़ों किसानों ने जिला कलेक्टर कार्यालय तक बैलगाड़ी सहित पैदल यात्रा निकाली। इसके बाद कलेक्टर कार्यालय पहुंचे किसानों ने कार्यालय का घेराव करते हुए जमकर नारेबाजी भी की।
चक्का जाम की दी चेतावनी
किसान नेता रामपाल सिंह ने चेतावनी भी दी के यदि उनके ज्ञापन में दी गई सात बिंदुओं की मांगे आने वाले पांच से छह दिन में नहीं मानी जाती हैं तो किसान तलवड़ीया फाटे पर जो की स्टेट हाइवे पर है वहां पर चक्का जाम करेंगे, जिसका जवाबदार शासन-प्रशासन रहेगा। रामपाल ने कहा कि हम आज उन्हें आगाह करने आए थे। आज हम हजारों की संख्या में यहां आए हैं। आइंदा 20 से 25 हजार लोग ऐसा आंदोलन करेंगे की शासन को उसी समय घोषित करना पड़ेगा, तभी लोग उठेंगे।
सात बिंदुओं की मांगें
बैलगाड़ी यात्रा लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे किसान नेता और जनपद पंचायत खंडवा के जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि रामपाल सिंह ने बताया कि इस समय पूरे खंडवा जिले के किसानों की यही मांग है कि जिले को सूखाग्रस्त घोषित करें। अपनी इन्हीं मांगों को लेकर पूरी खंडवा तहसील के किसान जिला मुख्यालय आए और वह चाहते हैं कि अब बगैर सर्वे किसानों के लिए पचास हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के मान से राहत इसके साथ ही किसानों को 24 घंटे बिजली दी जाए और जो रात में बिजली देने का शेड्यूल किया है, उसे तुरंत बंद करते हुए दिन का शेड्यूल किया जाए। क्योंकि किसानों को रात में खेतों में सांप बिच्छू के काटे जाने का डर बना हुआ है। साथ ही किसानों का कर्ज माफ किया जाए और उनके बच्चे जो शिक्षण संस्थान में पढ़ रहे हैं, उनकी फीस भी माफ की जाए। इसके साथ ही मजदूरों को काम दिया जाए और किसानों का जो फसल बीमा काटा गया है, वह उनके खातों में तुरंत जमा किया जाए।