भोपाल। सतपुड़ा भवन में 12 जून को शाम करीब 4 बजे लगी आग शार्ट सर्किट से ही लगी थी। इस आगजनी में आदिम जाति क्षेत्रीय विकास परियोजना के उप संचालक वीरेंद्र सिंह के कक्ष के बंद एसी से आग लगी है। जांच रिपोर्ट में लिखा है कि सतपुड़ा भवन में न्यूट्रल/अर्थ लीकेज रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वीरेंद्र सिंह के कक्ष का एसी बंद होने के बाद भी अर्थ/न्यूटल में फाल्ट से शार्ट सर्किट हुई है। एसी बंद होने पर भी रिमोर्ट से चलने की स्थिति में होने पर न्यूटल प्रवाहित होता रहता है और शार्ट सर्किट की संभावना बनी रहती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगजनी में किसी शरारत या साजिश की आशंका नहीं है। जांच समिति ने यह बात राज्य स्तरीय फॉरेंसिंक प्रयोगशाला में सैंपल जांच रिपोर्ट के आधार पर लिखा है। जांच समिति के अध्यक्ष एसीएस गृह डॉ. राजेश राजौरा ने 287 पेजों की जांच रिपोर्ट सोमवार को राज्य सरकार को सौंप दी है। 15 दिन जांच समिति विस्तृत जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगी।
एसी के स्विच में शार्ट सर्किट से सोफे में लगी आग
जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में आग आदिम जाति क्षेत्रीय विकास के सहायक संचालक वीरेन्द्र सिंह के कक्ष में शार्ट सर्किट होने के कारण लगना बताया है। चिंगारी सोफे पर आई और आग बढ़ गई। यह निष्कर्ष राज्य फोरेंसिक साइंस लैब, मुख्य विद्युत निरीक्षक, लोक निर्माण विभाग की दो समितियों के प्रतिवेदन और जांच दल के निरीक्षण के आधार पर निकाला गया है।
जांच समिति के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने 287 पेज की जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को सौंप दिया। प्रारंभिक आंकलन में 24 करोड़ के नुकसान की बात कही जा रही है। समिति ने चार दिन में तीन बार स्थल निरीक्षण किया और 32 अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान लिए गए। घटना स्थल से परदे, तार, स्विच बोर्ड, फाइल आदि के नमूने लेकर जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब भेजे गए। लोक निर्माण विभाग की विद्युत एवं यांत्रिकी और सिविल शाखा ने भी स्थल निरीक्षण किया और प्रतिवेदन समिति को सौंपा।
सीढिय़ों के कबाड़ से आग बढ़ती गई
जांच प्रतिवेदन में कहा गया कि आग तीसरे तल से अंदर ही अंदर चौथे, पांचवें और छठवे तल पर पहुंची। सीढिय़ों पर कबाड़ पड़ा हुआ था, जिससे आग बढ़ती गई। पांचवें तल पर चूंकि मरम्मत का काम चल रहा था, इसलिए क्षति कम हुई। विद्युत व्यवस्था के लिए निर्धारित मानकों का उपयोग नहीं किया गया। जांच दल ने कुुछ कर्मचारियों की सहमति से उनके मोबाइल रिकार्ड और बैंकों की खातों की जांच भी करवाई। डॉ. राजौरा के निर्देश पर साइबर पुलिस ने मोबाइल की जांच की और काल रिकार्ड, एसएमएस की जानकारी सुरक्षित रख ली। बैंक खातों की जानकारी भी ली गई। ऐसा करने के पीछे उद्देश्य यह जानना था कि कहीं कोई साजिश तो नहीं थी पर ऐसा कुछ भी नहीं मिला है।