भोपाल । पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के विरोध को लेकर इस साल की शराब पॉलिसी अधर में पड़ी हुई है। कैबिनेट की बैठक में पॉलिसी को लेकर अंतिम मुहर लगना है, लेकिन पॉलिसी कब घोषित होगी, इसका जवाब अधिकारियों के पास भी नहीं है। इस बीच खबर सामने आ रही है कि सरकार दुकानों की लाइसेंस फीस में कमी कर इसे 10 प्रतिशत वृद्धि तक ला सकती है।
पिछले कई सालों से शराब दुकानों के ठेके 20 से 25 प्रतिशत लाइसेंस फीस बढ़ोतरी पर दिए गए हैं। सरकार ने पिछले साल शराब दुकानों के मामले में लाइसेंस फीस तो बढ़ा दी थी, लेकिन एक्सााइज ड्यूटी कम कर दी थी। पिछले कई सालों से लाइसेंस फीस में अनाप-शनाप वृद्धि को लेकर कई शराब ठेकेदारों ने तो यहां ठेके लेना ही बंद कर दिया है और कई दूसरे प्रदेशों में चले गए हैं। सरकार हर साल लाइसेंस फीस में वृद्धि करती है और यह वृद्धि होते-होते 25 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इस चक्कर में कई दुकानें घाटे का सौदा साबित हो जाती हैं, लेकिन सरकार अब ऐसी पॉलिसी तय कर रही हैं, जिसको लेकर ठेकेदार भी नाराज न हो और शराब के दामों में वृद्धि न हो, वहीं उमा भारती के विरोध के कारण नई शराब दुकान नहीं खुलने, लेकिन राजस्व में बढ़ोतरी हो, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में जल्द ही आबकारी नीति का नया प्रारूप लाया जा सकता है। यह लाइसेंस फीस 10 प्रतिशत रखी जा सकती है। इस पर अंतिम मुहर लगना बाकी है। कुछ ठेकेदार तो लाइसेंस फीस कम होने को भी घाटे का सौदा बता रहे हैं। पिछले साल खोली गई कम्पोजिट शराब दुकानों के कारण दुकानों से बिक्री कम हो गई है, लेकिन सरकार के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ा।