भोपाल । साल 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से महिलाओं की दूरी पार्टी को ले डूबी है। मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार की लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी योजनाओं के चलते कांग्रेस से आधी आबादी का वोट दूर हो चुका है। यह चुनौती अब भी बनी हुई है। अब सबकी नजर राहुल गांधी पर है कि वे इस डूबती नैय्या को कैसे पार लगा पाएंगे। माना जा रहा है कि कांग्रेस प्रदेश के अंदर नई महिला लीडरशिप को तैयार करने की कवायद में जुट गई है। प्रदेश में 2 करोड़ 73 लाख 87 हजार 122 महिला मतदाता हैं।
विधानसभा और आम चुनाव के दौरान भी कांग्रेस पार्टी में महिलाओं की आवाज उठाने वाला कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया। इसकारण पार्टी लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी योजना का तोड़ नहीं निकल सकी। स्थिति अभी भी वैसी ही बनी हुई है। प्रदेश के अधिकांश जिलों की बागडोर पूरी तरह पुरुष नेताओं के हाथ में ही है। वैसे देश को पहली महिला प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति देने वाली कांग्रेस महिला नेतृत्व के मामले में प्रदेश में समस्याओं से घिरी हुई है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता गर्जना खान का कहना है कि महिला नेतृत्व तैयार करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने और लोकसभा के चुनावों में प्रदेश की सभी 29 सीटों पर चुनाव जिताने में आधी आबादी का पूरा योगदान रहा है। भाजपा सरकार में मंत्री निर्मला भूरिया का कहना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बीजेपी सरकार ने हमेशा से काम किया। पार्टी में संगठन से लेकर सत्ता तक महिलाओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी और पद दिए गए हैं। आने वाले समय में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। कई जिलों में महिलाओं को अध्यक्ष नियुक्त किया गया। मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करने के लिए महिला नेतृत्व को आगे करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बीते विधानसभा चुनाव में 76 क्षेत्र फीसदी से अधिक महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। आने वाले समय में ग्राफ और भी बढ़ेगा।
मध्यप्रदेश में डूब चुकी कांग्रेस पार्टी की नैया को कैसे पार लगा पाएंगे राहुल गांधी
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