भोपाल। मप्र सड़क हादसों का प्रदेश बन गया है। सरकार के प्रयासों के बाद भी देश में रोड एक्सीडेंट के मामले में मप्र दूसरे नंबर पर है। ओवरस्पीड और लापरवाही की वजह से सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है। जबकि सड़क दुर्घटना में मृत्यु में चौथा स्थान है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 और 2021 में हुई सड़क दुर्घटना के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो तमिलनाडु के बाद मप्र दूसरे स्थान पर है। मप्र में वर्ष 2020 में 45266 और 2021 में 48877 दुर्घटनाएं हुईं। देश में 3.54 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.33 लाख लोगों जान चली गयी। इनमें 56.6 प्रतिशत मौतें ओवरस्पीड की वजह से हुईं। साथ ही 26.4 प्रतिशत मौतें ड्राइवर की लापरवाही और ओवरटेक करने की वजह से हुईं।
हर 10 मिनट में एक दुर्घटना
मप्र में सड़क सुरक्षा को लेकर हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाता है। वहीं साल भर जागरूकता कार्यक्रम चलते रहते हैं। इसके बाद भी प्रदेश में हर 10 मिनट में एक दुर्घटना हो रही हैं। वहीं 43 मिनट में एक मौत हो रही है। देश में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में मप्र चौथे तरह समय की बात की जाए तो मरने वाले दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे और शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होने वाली दुर्घटनाएं हैं। इनमें 71 फीसदी 18 से 45 साल के लोग हैं, जिनकी सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई है। यह आंकड़ा वर्ष 2021 में हुई सड़क दुर्घटनाओं के आधार पर सामने आया है। प्रदेश के जिलों की बात की जाए तो सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं जबलपुर, इंदौर (शहर), भोपाल (शहर) के बाद धार में बीते वर्ष में हुई हैं। प्रदेश भर में विभागवार ब्लैक स्पॉट में एनएचएआई के 155, एमपीआरडीसी के 140, पीडब्ल्यूडी (एनएच) के 60 हैं। प्रदेश में कुल 395 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग या अन्य विभागों द्वारा सड़क सुरक्षा या यातायात के नियमों के बारे में लोगों को जागरूक नहीं किया गया, लेकिन लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं और उसमें मरने वालों की संख्या चिंताजनक है।
ओवर स्पीड और लापरवाही से बढ़े हादसे
देशभर में ओवर स्पीड और लापरवाही की वजह से 83 फीसदी लोगों की सड़क हादसों में जान गई है। ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करना भी सड़क हादसे की मुख्य वजह बन गई है। इसलिए ट्रैफिक नियमों को अब शिक्षा के साथ पढ़ाया जा रहा है। लोगों को जागरुक किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ चालान काटती है। लेकिन इसके बावजूद भी ओवर स्पीड और लापरवाही की वजह से सबसे ज्यादा मौत हो रही हैं। वर्ष 2021 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 5742 दो पहिया वाहन चालकों की मौत हुई है। इनमें 4199 ऐसे चालक थे जिन्होंने हेलमेट नहीं लगाया था। इसलिए सुरक्षा के लिहाज से दो पहिया वाहन चालक को हेलमेट लगाना भी जरूरी माना गया है। यदि तीन साल यानी वर्ष 2020, 2021 और 2022 के सड़क दुर्घटनाओं पर नजर डाली जाए तो साल दर साल घायल और मृतकों की संख्या में इजाफा हुआ है। जोकि गंभीर है। वर्ष 2020 में जहां सड़क दुर्घटनाएं 45266 थीं, वर्ष 2022 में बढ़कर 54432 पहुंच गई।