इंदौर । दीपोत्सव का उल्लास मनाने के अगले ही दिन अर्थात 25 अक्टूबर को सूर्यदेव ग्रहण से ग्रसित हो गए। इस वर्ष का अंतिम सूर्यग्रहण मंगलवार शाम को घटित हुआ। मध्य प्रदेश में इसकी शुरुआत सायंकाल 04:26 बजे से हुई और यह सूर्यास्त के बाद समाप्त हुआ। इसे मध्य प्रदेश के किसी भी जिले, गांव, कस्बे में देखा गया। यद्यपि राज्य के आकाश में सूर्यग्रहण आंशिक रूप से ही दिखाई दिया। भारत के नागरिकों के लिए इस ग्रहण को समाप्त होते हुए देखना संभव नहीं हो पाया क्योंकि ग्रहण समाप्ति से पहले ही भारत में सूर्यास्त हो गया। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान प्रसार, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त आगर मालवा के नलखेड़ा स्थित विपनेट साइंस क्लब इनोवेशन वर्कशाप के शैलेंद्र कसेरा ने इस सूर्य ग्रहण को लेकर विशेष अध्ययन किया है। मध्य प्रदेश में अधिकतम ग्रहण के समय सूर्य पर चंद्रमा द्वारा आच्छादन लगभग 26 से 38 प्रतिशत के बीच रहा। इस कारण प्रदेश के विभिन्न् हिस्सों में भौगोलिक स्थिति के अनुसार आच्छादन का प्रतिशत कम या ज्यादा देखा गया।
कहां, कितने बजे ग्रहण
उज्जैन : काल गणना की नगरी उज्जैन में इस आंशिक सूर्य ग्रहण का आरंभ उज्जैन में शाम 4 बजकर 41 मिनट पर हुआ, जो शाम 5 बजकर 38 मिनट पर अपने सर्वोच्च स्तर पर रहा। यद्यपि उज्जैन में सूर्यास्त के चलते शाम 5 बजकर 53 मिनट के बाद सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई दिया। यहां ग्रहण की अवधि प्रारंभ होने से सूर्यास्त के समय तक एक घंटे 48 मिनट रहीी।
इंदौर : आर्थिक राजधानी में शाम 4 बजकर 42 मिनट पर ग्रहण की शुरुआत हुई और शाम 5 बजकर 53 मिनट पर खत्म हुआ। 5 बजकर 38 मिनट पर यहां सूर्य ग्रहण सर्वोच्च स्तर पर रहा। इस दौरान चंद्रमा ने सूर्य के 31.66 फीसदी हिस्से को ढक लिया।
भोपाल : राजधानी में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य के आच्छादन का प्रतिशत 32.19 रहा, जो इंदौर से अधिक था। भोपाल में सूर्यास्त होने तक कुल 1 घंटे 47 मिनट तक ग्रहण की स्थिति दिखाई दी।
जबलपुर : संस्कारधानी में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य के आच्छादन का प्रतिशत लगभग 30.31 प्रतिशत रहा। ग्रहण की अवधि प्रारंभ से लेकर सूर्यास्त के समय तक जबलपुर में 1 घंटे 43 मिनट की रही।
(इन प्रमुख शहरों के अलावा मध्य प्रदेश के प्रत्येक शहर, गांव, कस्बे में भी देखा गया सूर्यग्रहण
सावधानियां
आसमान में हुई इस खगोलीय घटना को देखने में अत्यंत सावधानी बरतनी पड़ी। कभी भी ग्रहण को नंगी आंखों से कतई न देखें क्योंकि सूर्य की तेज किरणें आखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जब चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्से को ढंक दे, तब भी इसे खाली आंखों से देखना खतरनाक है। इससे आंखों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। सूर्य ग्रहण को टेलीस्कोप और धूप से आंखों को बचाने वाले काले चश्मों से भी नहीं देखना चाहिए। इसे देखने के लिए विशेष रूप से बनाए गए सोलर फिल्टर युक्त चश्मों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।