मध्यप्रदेश : छतरपुर में निजी स्कूल संचालकों को ड्रेस और पुस्तकों को स्कूल से बेचने या कहीं और से बिकवाने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल इसके के माध्यम से वह अभिभावकों से मोटी रकम वसूल करते हैं। जिसकी लगातार शिकायतें मिल रहीं थीं। कलेक्टर संदीप जीआर ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सभी निजी विद्यालय संचालकों और प्राचार्यों को हिदायत दी है कि वे अपनी पुस्तकें और अपनी ड्रेस अभिभावकों पर थोपने से बचें अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहें। किसी भी एक या चिन्हित दुकान से पुस्तक और ड्रेस खरीदने के लिए भी कलेक्टर ने सचेत किया है।
कलेक्टर के मुताबिक छतरपुर शहर के निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा छात्रों एवं पालकों को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफार्म, जूते, टाई, किताबें, कॉपिया आदि खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्वसुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है, इसलिए उक्त आदेश लागू किया गया है, जिसका उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति, संस्था, आयोजक के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी।
बेवसाइट पर सूची अपलोड करने के निर्देश
स्कूल संचालक, प्राचार्य स्कूल में संचालित प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची विद्यालय के परीक्षा परिणाम के पूर्व ही अपने स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे एवं विद्यालयीन सार्वजनिक सूचना पटल पर चस्पा करेंगे। मान्यता नियमों के अंतर्गत स्कूल की स्वयं की बेवसाइट होना अनिवार्य होगा। स्कूल के प्राचार्य, संचालक पुस्तकों की सूची की एक प्रति प्रवेशित अभिभावकों को प्रवेश के समय एवं परीक्षा परिणाम के समय आवश्यक रूप से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।
स्कूल संचालक प्राचार्य विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकों को सूचीबद्ध पुस्तकें परीक्षा परिणाम अथवा उसके पूर्व क्रय करने हेतु बाध्य नही करेंगे। अभिभावक पुस्तकों की उपलब्धता के आधार पर 15 जून तक कम कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में अप्रैल माह में प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र में प्रथम 30 दिवस की अवधि एक अप्रैल से 30 अप्रैल का उपयोग विद्यार्थियों के ओरिएंटेशन व्यवहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक पद्धति से शिक्षण में किया जायेगा।