katni News: मध्यप्रदेश के कटनी से एक ऐसा मामला सामने आ रहा है जहां एक बेटे ने अपनी माॅ को पाने के लिए ऐसा काम किया जिसे सुन कर आप भी हैरान हो जाएंगे। मां-बेटे के प्रेम की एक अनूठी मिसाल पेश की है। अभिषेक ने अपनी मां का सिलिकॉन स्टैच्यू तैयार कराकर उसे घर के मंदिर में स्थापित कर दिया। ये प्रतिमा इतनी जीवंत है कि पहली नजर में कोई सोच भी नहीं सकता कि इसमें जान नहीं है।
कटनी जिले के अभिषेक नाम के एक शख्स ने अपनी मां की सिलिकॉन की प्रतिमा बनवाई है, जो देखने में एकदम जीवित अवस्था में लगती है। अभिषेक मां से बिछड़ने के बाद वे एकदम गुम-सुम रहने लगे थे। दौरान अभिषेक ने सोशल मीडिया में सिलिकॉन की मूर्ति के वीडियो के बारे में देखा तो उनके अंदर अपनी मां को पुनः पाने की इच्छा जागृत हुई। ये इतना आसान नहीं था क्योंकि काफी महीनों के चक्कर काटने के बाद भी बेंगलुरू के श्रीधर मूर्तिकार नहीं मान रहे थे।
बेंगलुरू में ही सिलिकॉन की प्रतिमा बनाई जाती है
मां के प्रति मेरा प्रेम और लगाव देखकर ही वे मूर्ति बनाने को तैयार हुए। अभिषेक के मुताबिक पूरे भारत में सिर्फ बेंगलुरू में ही सिलिकॉन की प्रतिमा बनाई जाती है। श्रीधर ने उनसे एक साल का समय मांगा। एक साल बाद जब उन्होंने पहली बार मूर्ति देखी तो लगा मां उनके सामने जीवंत अवस्था में आ गई हैं।
घर के लोगों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं था। उन्होंने भी जब पहली बार यह अद्भुत मूर्ति देखी तो दंग रह गए।
अभिषेक हर दिन ईश्वर के साथ अपनी मां की मूर्ति की पूजा करते हैं। मूर्ति की सुरक्षा के लिए उसे मंदिर के पास रखा गया है। अभिषेक की पत्नी मोनिका बताती हैं कि मां के जाने के बाद उनके पति काफी डिप्रेशन में चले गए थे। जब से मां की मूर्ति बनवाकर लाए हैं, सब बहुत खुश हैं। मूर्ति आने से हमें उनके साथ रहने का अहसास होता है।
मूर्ति के साथ बैठकर पूरा परिवार लेता है सेल्फी
मूर्ति के पोषाक और गहनों को हर दो-ढाई महीने में बदला जाता है। मोनिका और उनकी जेठानी मिलकर यह काम करती हैं। हर त्यौहार में पूरा परिवार मूर्ति के साथ बैठकर सेल्फी लेता है। इससे मां की मौजूदगी होने की तसल्ली मिलती है।
मां के प्रति ज्यादा लगाव
दो मई, 2021 को अभिषेक की मां सावित्री का कोविड काल निधन हुआ था। पिता सुरेश सोनी ने बताया कि उनके तीन बेटे और एक बेटी है। अभिषेक सबसे छोटा है। छोटा होने के कारण मां के प्रति उसका लगाव ज्यादा है। शायद यही वजह थी कि मां के देहांत के बाद वह डिप्रेशन में चला गया था। इसी बीच किसी को बिना बताए वह मां की मूर्ति बनवाकर घर लाया।