बंदरों से निपटने को रेलवे की तकनीकी चाल, नहीं चढ़ पाएंगे खंभों पर

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धनबाद। धनबाद रेल मंडल में बंदरों के कारण ओएचई (ओवरहेड इक्विपमेंट) तारों को बार-बार होने वाले नुकसान से निपटने के लिए रेलवे ने अनोखी पहल शुरू की है। रेलवे अब ओएचई के खंभों पर एंटी मंकी क्लाइंबिंग डिवाइस लगाएगा। लगभग 1.72 करोड़ रुपये की लागत से 900 डिवाइस लगाने की योजना है। इससे न केवल बंदरों को हाई वोल्टेज करंट से बचाया जा सकेगा बल्कि रेलवे उपकरणों को भी नुकसान से सुरक्षा मिलेगी।

रेलवे के मुताबिक, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैले धनबाद रेल मंडल के कई रेलखंडों पर बंदर अक्सर ओएचई पर चढ़ जाते हैं। इससे तार हिलने लगते हैं, ओएचई ट्रिप हो जाती है और ट्रेनों को बिजली आपूर्ति बाधित होती है। कई बार तार टूट जाने से रेल सेवाएं प्रभावित होती हैं और बंदरों की मौत तक हो जाती है।

कैसे करेगा काम एंटी मंकी डिवाइस

एंटी मंकी क्लाइंबिंग डिवाइस को ओएचई के खंभों पर लगाया जाएगा, जिसके आसपास कंटीले तार होंगे। जैसे ही बंदर चढ़ने की कोशिश करेगा, उसका पैर फिसल जाएगा और वह ऊपर नहीं जा सकेगा। इससे बंदरों की ओएचई तक पहुंच रोकी जा सकेगी और दुर्घटनाओं से बचाव होगा।

किन रेलखंडों पर लगेंगे डिवाइस

धनबाद रेल मंडल के बरकाकाना, खलारी, लातेहार, डालटनगंज, हजारीबाग रोड, हजारीबाग टाउन, रेणुकूट और चोपन जैसे बंदर प्रभावित रेलखंडों पर ये डिवाइस लगाए जाएंगे। इसके लिए रेलवे ने लगभग 1.72 करोड़ रुपये का टेंडर जारी कर दिया है।

पक्षियों की सुरक्षा के लिए लगेंगे एंटी बर्ड डिस्क

रेलवे सिर्फ बंदरों से ही नहीं बल्कि पक्षियों से होने वाले नुकसान से बचने की भी तैयारी कर रहा है। एंटी बर्ड डिस्क लगाकर ओएचई इंसुलेटर की सुरक्षा की जाएगी। चीनी मिट्टी के बने इंसुलेटर पर पक्षियों के बैठने से उनमें खराबी आ जाती है और करंट लगने का खतरा भी रहता है। नई डिस्क पक्षियों को तारों के संपर्क में आने से बचाएगी और लाइन ट्रिपिंग को रोकेगी। इससे ट्रेनों का संचालन सुचारू रूप से जारी रहेगा।

रेलवे को होगा दोहरा फायदा

इस पहल से रेलवे को दोहरा लाभ होगा — बंदरों और पक्षियों की जान भी बचेगी और ओएचई उपकरणों की सुरक्षा भी होगी। साथ ही, ट्रेनों का संचालन बिना बाधा के जारी रहेगा।