Sunday, December 15, 2024
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लेकसिटी के विश्वविख्यात शिल्पग्राम उत्सव का आयोजन 21 दिसंबर से

जयपुर । दुनियाभर में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव की शुरुआत 21 दिसंबर को लोक कलाओं के संयोजनात्मक प्रस्तुति से होगी। प्रदेश के माननीय राज्यपाल और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष श्री हरिभाऊ किशनराव बागड़े, नगाड़ा बजाकर उत्सव के उद्घाटन की घोषणा करेंगे। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्री चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर लोकसभा क्षेत्र सांसद डॉ मन्नालाल रावत, चित्तौड़गढ़ सांसद सी. पी. जोशी के साथ ही उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन तथा उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा भी उद्घाटन समारोह में बतौर अतिथि शिरकत करेंगे।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि इस वर्ष की थीम लोक के रंग-लोक के संग रखी गई है। मुख्यत: लोक कलाओं की प्रस्तुतियों के लिए विख्यात इस उत्सव में देश भर की उत्कृष्ट लोक कलाओं का प्रदर्शन होगा। उन्होंने बताया कि उदयपुर का शिल्पग्राम उत्सव संभवत: देश का अकेला ऐसा उत्सव है जहां पर लोक कलाओं के लिए देशी-विदेशी दर्शक इतने उत्साह से जुड़ते हैं। निदेशक ने बताया कि इस बार के अवार्ड महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग के रहने वाले कठपुतली और चित्र कथी के कलाकार गणपत सखाराम मसगे और राजस्थान के जयपुर के भवई कलाकार डॉ. रूपसिंह शेखावत को दिया जाएगा। इस पुरस्कार में प्रत्येक को एक रजत पट्टिका के साथ ही 2.51 लाख रुपए की राशि दी जाती है। उन्होंने बताया कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पहला ऐसा केंद्र है जिसने लोक कला के क्षेत्र में इतनी बड़ी राशि का पुरस्कार देना आरम्भ किया है। ये पुरस्कार राजस्थान के प्रसिद्ध कला मर्मज्ञ डॉ. कोमल कोठारी जी की स्मृति में दिया जाता है। निदेशक फुरकान खान ने बताया कि इस वर्ष शिल्पग्राम उत्सव में करीब 20 राज्यों (राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, असम, मेघालय, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, मणिपुर, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु) से लगभग 800 लोक कलाकार भाग लेंगे। इस दस दिवसीय उत्सव में करीब 65 कला दलों द्वारा देश की विभिन्न हिस्सों की सांस्कृतिक विरासत प्रदर्शित की जाएगी। थड़ों पर बहरूपिया, कच्छी घोड़ी, कच्छी लोकगायन, राठवा, सुंदरी वादन, अल्गोजा वादन, गवरी, मशक वादन, मांगणियार, चकरी ताल, कालबेलिया आदि का प्रदर्शन दिनभर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मेले में बहुरूपी कला का प्रदर्शन भी होगा जिसके लिए बहुरुपिए कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। साथ ही इस बार शिल्पग्राम में 12 राशियों के चिन्ह विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। इन राशि चिन्हों को देश के युवा मूर्तिकारों द्वारा पत्थर में विशेष रूप से शिल्पग्राम उत्सव के लिए तराशा गया है। पूर्व में तराशे गए वाद्य यंत्र तो दर्शकों को लुभा ही रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न राज्यों के जनजातीय मुखौटे भी प्रदर्शित किए जाएंगे जिन्हें कलाकारों ने शिल्पग्राम में आयोजित कार्यशाला में तैयार किया है।

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