Saturday, April 19, 2025
Homeराज्‍यअन्‍य राज्‍यइलाहाबाद हाईकोर्ट में अनोखा मामला, सास ने बहू पर लगाए घरेलू हिंसा...

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनोखा मामला, सास ने बहू पर लगाए घरेलू हिंसा के आरोप

सास-बहू का रिश्ता बहुत ही खट्टा-मीठा सा होता है. इसमें तकरार भी होती है और प्यार भी. कई केस आपने सुने होंगे जिसमें सास पर अपनी बहू को प्रताड़ित करने का आरोप लगा होता है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सास भी खुद बहू से प्रताड़ित होती है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसे ही केस में फैसला सुनाया. इसमें एक सास ने बहू पर घरेलू हिंसा की शिकायत दी.

सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठा कि क्या सास अपनी बहु के खिलाफ इस तरह का मामला दर्जा करा सकती है? इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसकी इजाजत दी. हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि सास भी अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है.

यह फैसला न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने दिया, जिन्होंने लखनऊ की एक निचली अदालत द्वारा बहू और उसके परिवार के खिलाफ जारी समन को सही ठहराया. मामला स्मृति गरिमा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के नाम दाखिल हुआ था, जिसमें बहू और उसके परिवार ने निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी.

आदेश में कोर्ट ने क्या कहा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- अधिनियम की धारा 12 के तहत राहत की याचिका कोई भी ऐसी महिला दाखिल कर सकती है, जो घरेलू संबंध में साझा घर में रह रही हो और पीड़ित हो. कोर्ट ने कहा- यदि सास को उसकी बहू या परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो वह भी पीड़ित महिला की परिभाषा में आएगी और अधिनियम की धारा 12 के तहत याचिका दाखिल करने का अधिकार रखती है.

क्या है पूरा मामला?
मूल शिकायत में सास ने आरोप लगाया था कि बहू अपने पति (शिकायतकर्ता का बेटा) पर उसके मायके में जाकर रहने का दबाव बना रही है. इसके अलावा, बहू द्वारा ससुरालवालों के साथ दुर्व्यवहार और झूठे केस में फंसाने की धमकी देने का आरोप भी लगाया गया था. वहीं, बहू के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह शिकायत बहू द्वारा दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले के जवाब में बदले की भावना से की गई है.

‘पीड़ित मानी जाएगी सास’
कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा- सास की ओर से दर्ज शिकायत में घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसलिए ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन वैध है. कोर्ट ने आगे कहा- धारा 2(f), 2(s) और धारा 12 को एक साथ पढ़ने पर स्पष्ट होता है कि कोई भी महिला जो उत्तरदाता के साथ घरेलू संबंध में साझा घर में रह चुकी है, वह पीड़ित महिला मानी जाएगी.

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group