Saturday, April 19, 2025
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मर्यादाओं का उल्‍लंघन बर्दाश्‍त नहीं- देवनानी

जयपुर। राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि प्रदेश की जनता विधायकगण को सदन में निर्वाचित करके भेजती है। आमजन की अपेक्षाओं पर खरा उतरना सभी विधायकगण की जिम्‍मेदारी है। श्री देवनानी ने गुरूवार को सदन में गतिरोध समाप्‍त करने के लिए उदारता दिखाते हुए निलम्बित विधायकगण को बहाल किया। उन्‍होंने कहा कि मर्यादाओं का उल्‍लंघन बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता। संबंधित सदस्‍यों के आचरण एवं अनुशासन को व्‍यवहार में लाया जाना सुनिश्चित किया जायें। विधायकगण से उनकी अपेक्षा है कि सभी आसन का सम्‍मान करें। आसन सर्वोपरि होता है। इसलिए आसन के प्रति सम्‍मान का व्‍यवहार किया जाना चाहिए।
 
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि राजस्‍थान विधान सभा में विगत दिनों घटित हुई घटनाएं बहुत गंभीर और चितंनीय थी। संसद की कार्यवाही और विभिन्‍न विधानसभाओं की कार्यवाही मैंने देखी है, समझी है। गतिरोध आते हैं, समाधान भी निकलता है लेकिन इस प्रकार की घटना तो मुझे यह लगता है कि देश की किसी विधान सभा में, किसी भी सदस्‍य ने, वह भी एक विपक्षी दल के वरिष्‍ठ सदस्‍य द्वारा तो कभी नहीं की गई। 

श्री देवनानी ने कहा कि बार-बार यह कहा जाता है ,  ''बड़ों को क्षमा और छोटों को उत्‍पात'', लेकिन छोटों के उत्‍पात की भी एक सीमा होती है। जब सीमाएं लांघ दी जाती है तो बडा कष्‍ट और बडी पीड़ा होती है। गतिरोध को समाप्‍त करने के लिए मैं राज्‍य के मुख्‍यमंत्री, मंत्रीगण सहित प्रतिपक्ष के नेताओं के सम्‍पर्क में लगातार रहा। दोनों पक्षों को मैने कहा था कि सर्व सम्‍मति बनाकर मेरे पास आएं तो मुझे सहयोग करने में कोई दिक्‍कत नहीं है। मैं भी यही चाहता था कि समाधान निकले। विधायकगण को धैर्य रखना चाहिए। अध्‍यक्ष पर विश्‍वास करना चाहिए। यहां पर अध्‍यक्ष केवल मेरा नाम या मेरे सम्‍मान की बात नहीं है। यह आसन का सम्‍मान है। आसन केवल कहने मात्र से सर्वोपरि नहीं बनता है। आसन को सर्वोपरि बनाने के लिए विधायकगण का व्‍यवहार और आचरण एक्‍शन में दिखना चाहिए।   

श्री देवनानी ने कहा कि  विपक्ष के नेता ने जिन सदस्‍य के बारे में क्षमा मांगी है, खेद प्रकट किया है, मैं आशा करता हूँ कि विपक्ष के नेता उनको अपने आचरण में परिवर्तन लाने के लिए सुनिश्चित करेंगे और अनुशासन का पालन करने के लिए आग्रह भी करेंगे। सदन में कई सदस्‍य आउट ऑफ कन्‍ट्रोल हो जाते है। दोनों पक्षों द्वारा अपने-अपने सदस्‍यों को नियंत्रण में रखा जायेगा तब ही सदन चलना और चलाना हो पाएगा।

श्री देवनानी ने कहा कि  हम सब समझदार है। जनता से चुनकर आएं है। हर जगह लगभग दो से तीन लाख मतदाताओं ने हम को चुनकर भेजा है। उनकी हमसे अपेक्षा है, जिन पर हमें खरा उतरना चाहिए।

श्री देवनानी ने कहा कि अब ऐसी बातें दुबारा नहीं होनी चाहिए। मर्यादा का बार-बार उल्‍लंघन होता है तो कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर होना पडता है। कठोरता बरतने का दोबारा अवसर नहीं आना चाहिए। इसके लिए सभी सदस्‍य अनुशासन का पालन करें और राजस्‍थान की जनता के लिए एक आदर्श मॉडल प्रस्‍तुत करें।

श्री देवनानी ने कहा कि वे चाहते है कि सदन अधिक दिन चलें। सदन में अधिक प्रश्‍न लगे। सदन में अधिक बहस हो। आमजन की जितनी समस्‍याएं हैं, वे मुद्दे सहित उठे, राज्‍य सरकार उनको सुने और जितना सम्‍भव हो नियमानुसार उनका समाधान निकाले, ताकि यह विधान सभा एक आदर्श विधान सभा के रूप में विकसित हो सके।

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