किसका है जातिगत जनाधार? बिहार में जातियों की बिसात पर बिछी सियासत

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बिहार में सामान्य तौर चुनावी गणित जातियों पर आधारित होती है. सूबे की राजनीति में कौन सी जाति किसके साथ है, इसका अंदाजा इससे ही लग जाता है कि चुनाव में पलड़ा किस पार्टी का भारी है. यानी ये कह सकते हैं जिसका जितना जातीय गणित मजबूत होगा, उसकी जीत की संभावना उतनी मजबूत होती है. आइए एक नजर डालते हैं कौन सी जाति का वोट किस पार्टी के साथ है और किसका पलड़ा भारी है. यहां 1 प्रतिशत आबादी से ऊपर जिन जातियों की संख्या है, उनका झुकाव किस पार्टी के ओर है? उनके झुकाव को भी समझेंगे.

सामान्य ढंग से हिंदू वोटरों को अगर वर्गीकृत किया जाए तो इसको 5 भागों में बांटा जा सकता है. इसमें जनसंख्या का प्रतिशत कुछ इस तरह है…

वर्गप्रतिशत
सामान्य वर्ग15.52
पिछड़ा वर्ग27.12
अत्यंत पिछड़ा36
अनुसूचित जाति (दलित)19
अनुसूचित जनजाति (आदिवासी)1.68

एनडीए गठबंधन के पक्ष में इन जातियों का झुकाव रहा है…

जातिप्रतिशत
ब्राह्मण3.66
भूमिहार2.87
कायस्थ0.6
राजपूत3.45
बनिया2.32
कुर्मी2.88
कोयरी (कुशवाहा)4.21
पासवान (दुसाध)5.31
मुशहर3.09
निषाद2.61
तेली2.81
कुम्हार1.04
धानुक2.13
नाई (हजाम)1.59
नोनिया1.9
कानू2.21
बढ़ई1.44
प्रजापति (कुम्हार)1.40
चंद्रवंशी1.65
धोबी0.8

इन जातियों के झुकाव को देखें तो करीब 48% वोट एनडीए गठबंधन के साथ है. हालांकि बीजेपी का दावा है कि इसके अलावा अन्य छोटे समूह की अति पिछड़ी जातियां एनडीए के साथ जुड़ती हैं, जिससे उसकी संख्या 55% जाती है.

इंडिया गठबंधन के पक्ष में इन जातियों का झुकाव रहा है…

जातिप्रतिशत
यादव14.27
मुस्लिम17.7
हरिजन (मोची, रविदास और चर्मकार)5.26
पासी0.98
मल्लाह2.60

आरजेडी का दावा

इन जातियों का वोट जोड़ें तो लगभग 40.81 फीसदी मतदाता इंडिया गठबंधन के साथ है. इधर आरजेडी का दावा है कि इंडिया गठबंधन के साथ 47 से 50% तक जातियों का वोट जुड़ा हुआ है. अब इंडिया गठबंधन ने रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस को साथ लेकर एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है. चूंकि पासवान वोटरों की जनसंख्या 5.31% है. इसमें चिराग पासवान की मजबूत पकड़ मानी जाती है. लिहाजा पशुपति पारस को अपने गठबंधन में शामिल कर इंडिया गठबंधन ने एक बड़े वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है.

हालांकि, एनडीए घटक दलों का मानना है कि पासवान मतदाता रामविलास पासवान की विरासत उनके बेटे चिराग पासवान को सौंप चुका है. दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के मजबूत सिपहसालार माने जाने वाले और सन ऑफ मल्लाह कहे जाने वाले मुकेश साहनी को एनडीए गठबंधन में वापस लाने की कवायद भी तेज हो गई है क्योंकि मल्लाह वोट का मामला 2.6% का है.