रायपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने द्विविवाह के आरोप में एक महिला के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494, जो जीवित पति या पत्नी रहते हुए दूसरा विवाह करने पर सजा का प्रावधान करती है, दूसरी पत्नी पर लागू नहीं होती। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की एकल पीठ ने ऐसे मामलों में दूसरी पत्नी की कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया।
2011 में एक व्यक्ति ने अपनी पहली पत्नी के रहते हुए दूसरा विवाह किया। पहली पत्नी ने आईपीसी की धारा 494 के तहत द्विविवाह का मामला दर्ज कराया था। दूसरी पत्नी ने इस मामले को रद्द करने के लिए बीएनएसएस 2023 की धारा 528 के तहत याचिका दायर की। न्यायालय ने दूसरी पत्नी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे दूसरी शादी के वक्त पति की पहली शादी की जानकारी नहीं थी।
पत्नी को बिना तलाक दिए दूसरी शादी
यह मामला 2006 में हुई पहली शादी से शुरू होता है। 2009 में इस दंपत्ति को एक बेटी हुई। बाद में, पति और उसके परिवार ने पहली पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। पति ने दूसरी शादी कर ली और पहली पत्नी को घर से निकाल दिया। पहली पत्नी को पता चला कि उसके पति ने मई 2011 में बिना तलाक दिए दूसरी शादी कर ली है। उसने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुई। आखिरकार उसने अपने पति, दूसरी पत्नी और दो अन्य लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 498-A, 494 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया।
आईपीसी की धारा 494
न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने फैसले में आईपीसी की धारा 494 पर ध्यान केंद्रित किया। यह धारा जीवित पति या पत्नी के रहते हुए पुनर्विवाह से संबंधित है। न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह धारा केवल उन लोगों पर लागू होती है जो पहले से शादीशुदा हैं और फिर से शादी करते हैं। धारा 494 में लिखा है कि जिसका पति या पत्नी जीवित हो, वह विवाह करे…। इसका सीधा सा मतलब है कि यह अपराध केवल उसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जिसका वैध विवाह पहले से ही मौजूद हो।
मामले पर हाई कोर्ट ने क्या कहा
न्यायालय ने पाया कि दूसरी पत्नी उस समय अविवाहित थी जब उसने आरोपी से शादी की थी। इसलिए, वह धारा 494 के तहत अपराध की ज़रूरी शर्त को पूरा नहीं करती है। धारा 494 के लिए जरूरी है कि दूसरी शादी के समय पहला पति या पत्नी जीवित हो। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति अविवाहित है और किसी ऐसे व्यक्ति से शादी करता है जिसका पहले से विवाह है, वह धारा 494 के तहत दोषी नहीं है। दोष उस व्यक्ति का है जिसका पिछला विवाह वैध है। न्यायालय ने यह भी नोट किया कि दूसरी पत्नी को शादी के समय आरोपी की पिछली शादी के बारे में पता नहीं था।
मामला जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग- कोर्ट
न्यायालय ने यह भी कहा कि अगर दूसरी पत्नी के खिलाफ मुकदमा जारी रखा जाता है, तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। इसलिए, उच्च न्यायालय ने दूसरी पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली और उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि धारा 494 आईपीसी के तहत दूसरी पत्नी पर मुकदमा चलाना अनुचित है।