Intel: राष्ट्रपति ट्रंप ने चिपमेकर कंपनी इंटेल से खरीदी 10% की हिस्सेदारी….

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Intel: अमेरिकी सरकार ने संकटग्रस्त चिप निर्माता कंपनी इंटेल (Intel) में करीब 10% हिस्सेदारी लेते हुए 8.9 अरब डॉलर का निवेश किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इंटेल के सीईओ लिप-बू टैन ने शुक्रवार को इस ऐतिहासिक डील का एलान किया। यह समझौता न सिर्फ अमेरिकी सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, बल्कि ट्रंप प्रशासन की आर्थिक रणनीति में भी अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस खबर के आने के बाद कंपनी के शेयरों में 7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि चिप निर्माता कंपनी को अमेरिका में कारखाने बनाने या विस्तार करने के लिए लगभग 10 अरब डॉलर (870 अरब रुपये) का फंड मिलेगा। दरअसल पिछली बाइडन सरकार में इंटेल को बड़ी आर्थिक मदद देने का एलान किया गया था। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस डील की आलोचना की और आर्थिक सहायता के बदले इंटेल में हिस्सेदारी देने की मांग की। अब दोनों पक्षों में सहमति बन गई है।

ट्रंप-CEO मुलाकात बनी बदलाव की वजह, हुआ बड़ा फैसला

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप ने शुक्रवार को इंटेल के CEO लिप-बू टैन से मुलाकात की थी। यह उनकी 11 अगस्त के बाद उनकी दूसरी मुलाकात थी, जब ट्रंप ने टैन से चीनी फर्मों के साथ उनके संबंधों को लेकर इस्तीफा देने की मांग की थी। संघर्षरत कंपनी के लिए यह समझौता सरकारी अनुदान को इक्विटी शेयर में परिवर्तित करने का रास्ता खोलेगा। इससे ट्रंप और CEO टैन के साथ संबंध बेहतर होंगे।

नीतियों ने बदली सियासी और आर्थिक तस्वीर, बाइडन युग का असर

बाइडन सरकार के कार्यकाल में इंटेल को बड़े आर्थिक पैकेज और अनुदान देने का फैसला किया गया था. उस समय चिप्स और साइंस कानून के तहत अरबों डॉलर का फंडिंग कार्यक्रम शुरू किया गया। हालांकि, ट्रंप ने सत्ता में आते ही इस नीति की आलोचना की और कहा कि केवल “मुफ्त अनुदान” देने के बजाय अमेरिका को कंपनी में स्वामित्व हिस्सेदारी लेनी चाहिए। अब दोनों पक्षों में सहमति बनने के बाद सरकार ने कंपनी में 9.9 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है।

ट्रंप ने इस समझौते को एक ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया। उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है कि मैं यह जानकारी दे रहा हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका अब पूरी तरह से इंटेल (INTEL) कंपनी में 10% हिस्सेदारी का मालिक और नियंत्रक है। यह एक महान अमेरिकी कंपनी है, जिसका भविष्य और भी अविश्वसनीय होने वाला है।” ट्रंप ने कहा कि मैंने व्यक्तिगत तौर पर इंटेल के चीफ एग्जिक्युटिव ऑफिसर लिप-बू-टैन के साथ बातचीत की और डील फाइनल की। उनके मुताबिक, इस समझौते में अमेरिकी टैक्सपेयर्स पर कोई बोझ नहीं पड़ा। उन्होंने लिखा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने इन शेयरों के लिए कुछ भी भुगतान नहीं किया है और अब इन शेयरों का मूल्य लगभग 11 अरब डॉलर है। यह अमेरिका के लिए एक बेहतरीन डील है और साथ ही इंटेल के लिए भी।”

सेमीकंडक्टर उद्योग में अग्रणी बनने की राह पर अमेरिका

यह हिस्सेदारी ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वे वैश्विक चिप निर्माण में अमेरिका की भूमिका को मजबूत करना चाहते हैं। सेमीकंडक्टर को आज की दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व का केंद्र माना जाता है। ये चिप्स स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर आधुनिक रक्षा प्रणालियों तक, लगभग हर क्षेत्र में अनिवार्य हैं। सरकार ने इंटेल के ये शेयर 20.47 डॉलर प्रति शेयर की दर से खरीदे, जिससे कुल मिलाकर लगभग 433.3 मिलियन शेयर हो गए।

Intel के लिए गेम-चेंजर साबित होगी यह डील

इंटेल एक समय सिलिकॉन वैली की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में गिनी जाती थी, लेकिन पिछले दशक में एशियाई कंपनियों TSMC और सैमसंग ने वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में अपना दबदबा कायम कर लिया। बाइडन के दौर में लाए गए चिप्स और साइंस कानून का उद्देश्य अमेरिका में सेमीकंडक्टर निर्माण को मज़बूत करना था। बड़ी हिस्सेदारी के बावजूद, अमेरिकी सरकार सीधे तौर पर इंटेल के फैसला लेने में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाएगी। कंपनी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार का निवेश से बोर्ड में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा।

इंटेल ने एक बयान में कहा कि इस समझौते के तहत, अमेरिकी सरकार को सामान्य स्टॉक के 43.3 करोड़ शेयर मिलेंगे, जो कंपनी में 9.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर हैं। यह करीब 8.9 अरब डॉलर का निवेश है, जिसका एक हिस्सा 5.7 अरब डॉलर अनुदान के रूप में दिया जाएगा, जो चिप और विज्ञान कानून के तहत दिया जाएगा। यह बाइडन सरकार के कार्यकाल के दौरान पारित एक प्रमुख कानून है जिसकी ट्रंप ने आलोचना की है। इंटेल ने कहा कि बाकी के 3.2 अरब डॉलर सिक्योर एन्क्लेव कार्यक्रम के तहत कंपनी को मिलेंगे। इंटेल ने स्पष्ट किया कि यह नया निवेश कंपनी को पहले ही मिले 2.2 अरब डॉलर के अनुदान से अलग है। यानी इस सौदे की कुल राशि बढ़कर 11.1 अरब डॉलर हो गई है।

निवेशकों का भरोसा बढ़ा, बाजार ने दिखाई तेजी

शुक्रवार को घोषणा के बाद इंटेल के शेयरों में 7% की उछाल देखी गई। निवेशकों ने इस सौदे को कंपनी के लिए स्थिरता लाने वाला कदम माना। यह समझौता ऐसे समय आया है जब वैश्विक सेमीकंडक्टर प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है। ताइवान की TSMC और दक्षिण कोरिया की सैमसंग, दोनों ही एडवांस्ड चिप प्रोडक्शन में अभी भी सबसे आगे हैं। जापान की सॉफ्टबैंक ने भी इस हफ्ते की शुरुआत में इंटेल में 2 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। इस प्रतिबद्धता को इंटेल की टर्नअराउंड रणनीति के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का संकेत माना जा रहा है। यह इंटेल में हिस्सेदारी खरीदना शायद एक बार की डील नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका की अन्य महत्वपूर्ण इंडस्ट्रीज की कंपनियों के साथ भी ऐसे ही समझौते करना चाहते हैं। उन्होंने इसे ‘विन-विन डील’ बताया।