ISRO: भारत अब सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि सपनों को भी अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। दिसंबर 2025 में इसरो (ISRO) अपना ‘गगनयान मिशन’ लॉन्च करेगा, और खास बात ये है कि इस ऐतिहासिक उड़ान में पहला कदम इंसान नहीं, बल्कि ‘व्योममित्रा’ – भारत की स्पेस डॉल रखेगी। यह हाफ-ह्यूमनॉइड महिला रोबोट भारत की पहली “गगनयात्री” बनकर दुनिया को दिखाएगी कि स्पेस की असली उड़ान अब इंडिया के नाम है।
व्योममित्रा – भारत की ‘स्पेस बहन’
- यह हाफ-ह्यूमनॉइड रोबोट चेहरे के हाव-भाव दिखा सकती है, बात कर सकती है और स्पेसक्राफ्ट के सिस्टम्स ऑपरेट भी कर सकती है।
- रॉकेट की धड़कन और हर झटके को महसूस करके रिपोर्ट भेजेगी।
- कंट्रोल पैनल से लेकर अलर्ट भेजने तक, हर काम इंसान जैसी परफेक्शन से करेगी।
- सबसे मजेदार – वो अंतरिक्ष यात्रियों से बातचीत भी कर सकती है और सवालों के जवाब भी दे सकती है!
गगनयान – भारत का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’
- दिसंबर 2025 – पहली अनक्रूड फ्लाइट व्योममित्रा के साथ।
- 2026 – दो और बिना इंसान वाली उड़ानें।
- 2027 – भारत का पहला असली गगनयात्री अंतरिक्ष में तिरंगा लहराएगा।
यानी अब वह दिन दूर नहीं जब “ह्यूस्टन, वी हैव अ प्रॉब्लम” की जगह “बेंगलुरु, सब कंट्रोल में है!” सुनाई देगा।
ISRO: इसरो की बड़ी प्लानिंग
- 2035 तक – भारत का पहला स्पेस स्टेशन।
- 2040 तक – भारत का खुद का चंद्र मिशन।
मतलब, आने वाले सालों में भारत केवल धरती पर नहीं, बल्कि अंतरिक्ष पर भी अपनी मुहर लगाएगा।
सिर्फ रोबोट नहीं, भारत की उड़ान!
व्योममित्रा की ये उड़ान सिर्फ टेक्नोलॉजी टेस्ट नहीं है, ये है भारत के आत्मविश्वास का टेस्ट।
जब 2027 में भारतीय गगनयात्री अंतरिक्ष से तिरंगा लहराएंगे, तो पूरी दुनिया कहेगी –
“स्पेस की अगली सुपरपावर है – इंडिया!”