Monday, December 23, 2024
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ऑफिस में स्टाफ के साथ कुछ ऐसा होना चाहिए बॉस का व्‍यवहार..

बॉस और स्टाफ का संबंध एक गुरु-शिष्य की तरह ही होता है। इस रिश्ते में औपचारिकता तो होती है लेकिन आपसी समझ उससे कहीं ज्यादा होना चाहिए। दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। बॉस चाहे जैसे भी हों स्टाफ को उनसे बेहतर संबंध बनाना बहुत जरूरी होता है। हालांकि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती इसलिए बॉस और स्टाफ दोनों को प्रयास करना चाहिए कि वो अपने आपसी संबंधों को खराब न करें और आपस में मिल-जुलकर काम करें। ऑफिस के काम को लेकर बॉस और स्टाफ के बीच तनाव हो सकता है लेकिन कभी भी मन-मुटाव नहीं रखना चाहिए।

शांति से बात करना

हर बॉस हमेशा अपने कर्मचारियों से सम्मान पाने की अपेक्षा रखता है।इसके लिए सबसे जरूरी है कि बॉस धैर्य रखकर शांति से अपने स्टाफ से बात करे। कई बार गलत करने पर कर्मचारियों को समझाने की भी जरूरत पड़ती है लेकिन ऐसे में उन्हें सबके सामने डांटना जरूरी नहीं होता। याद रखें यदि आप बॉस हैं तो आपको भी अपने स्टाफ को सम्मान देना चाहिए तभी आपको भी उनसे सम्मान मिलेगा।

समय समय पर कॉम्प्लीमेंट दें

किसी भी कंपनी के बॉस में यह स्किल होना चाहिए कि वह अपने स्टाफ से सही तरह से समझाकर काम ले सके। बॉस की सफलता का राज उसके वह कर्मचारी होते हैं जो अपना काम समय पर व ईमानदारी से करते हैं। यदि कोई कर्मचारी अच्छा काम करता है तो बॉस को भी चाहिए कि वो सबके सामने उसकी तारीफ करे व उसे कॉम्प्लीमेंट दे। बॉस और स्टाफ के बीच में तालमेल ठीक रखने के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है।

स्टाफ का अभिवादन करें

बॉस के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह जब भी ऑफिस में प्रवेश करें तो उनका मूड अच्छा होना चाहिए। बाहर की कोई भी परेशानी उनके व्यवहार में नजर नहीं आनी चाहिए। कोई भी स्टाफ अगर आपको अभिवादन करता है तो उसका जवाब उसे हंस कर दें। इससे आपका स्टाफ भी खुश हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर, बॉस का मुस्कुराता चेहरा कर्मचारियों के साथ-साथ ऑफिस के माहौल को भी सहज बनाता है।

सुबह-सुबह जब हर व्यक्ति ऑफिस में प्रवेश करते ही एक-दूसरे को गुड मार्निंग कहता है। जब वह अपने बॉस को गुड मार्निंग कहता है तब अगर बॉस के चेहरे पर उदासी होती है या बॉस उसके गुडमार्निंग का कोई जवाब नहीं देता है तो कर्मचारी को अपना शब्द बेफिजूल लगते हैं और धीरे-धीरे वह बॉस को गुड मार्निंग कहना भी छोड़ देता है। यदि आप बॉस है तो जब भी आप ऑफिस में प्रवेश करे तो आपका मूड अच्छा होना चाहिए ताकि आपको देखकर आपके कर्मचारी भी खुश हो जाए। बॉस यदि उदास होकर कर्मचारियों के सामने बैठा रहेगा तो उसके साथ-साथ पूरे ऑफिस में उदासी छा जाएगी और किसी का भी काम में मन नहीं लगेगा। वहीं दूसरी ओर बॉस का मुस्कुराता चेहरा कर्मचारियों के साथ-साथ ऑफिस के माहौल को सहज बनाता है इसलिए हमेशा खुशियाँ बाँटे गम नहीं।

कर्मचारियों पर विश्वास करें

यदि कोई बॉस ऐसा सोचता है कि अगर उन्होंने अपना काम अपने कर्मचारियों को सिखा दिया तो वह उनसे आगे निकल जाएंगे तो उनकी यह सोच सरासर गलत है। बॉस तो ऐसा होना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों के आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करे न कि उनकी सफलता में अवरोध पैदा करे। बॉस और स्टाफ का रिश्ता दोस्ताना होना जरूरी है। अपने कर्मचारियों से अच्छे संबंध बनाकर बॉस जहां सबके चहिते बन सकते हैं, वहीं अपने स्टाफ का दिल जीतकर वो उनसे भरपूर काम भी ले सकते हैं।

कर्मचारियों को सम्मान दे

हर बॉस हमेशा अपने कर्मचारियों से सम्मान पाने की अपेक्षा रखता है। बॉस के सामने तो डर के कारण हर कोई उसका सम्मान करता है परंतु पीठ पीछे उतनी ही शिद्दत से उसकी बुराई भी करता है। जिसका कारण बॉस का कर्मचारियों के साथ सही तालमेल न बैठा पाना होता है।यदि बॉस हमेशा अपने ओहदे का डर बताकर कर्मचारियों पर बॉसगिरी झाड़ते हुए केवल अपनी ही प्रसिद्धि पाने की ही सोचता रहगा तो वह कभी अपने कर्मचारियों का दिल नहीं जीत पाएगा। याद रखें यदि आप बॉस है तो आपको भी अपने कर्मचारियों को सम्मान देना सीखना होगा।

कर्मचारियों का हौसला बढ़ाना

किसी भी कंपनी के बॉस में यह हूनर होना चाहिए कि वह कर्मचारियों से काम ले सके। बॉस की सफलता का राज उसके वे कर्मचारी होते हैं, जो अपना काम समय पर व ईमानदारी से करते हैं। बॉस की हर उपलब्धि व खुशी के मौके पर प्रत्येक कर्मचारी उसे बधाई देता है परंतु किसी भी कर्मचारी की सफलता पर बॉस नहीं, आखिर ऐसा क्यों ? यदि कोई कर्मचारी अच्छा कार्य करता है तो बॉस को भी चाहिए कि वो सबके सामने उसका हौसला बढ़ाए।

व्यवहार सहज सरल रखे

बॉस यदि ऑफिस में दोस्ताना व्यवहार रखे तथा अपने कर्मचारियों की हर परेशानी में उनकी मदद के लिए तैयार रहे तो वह बॉस सबसे कर्मचारियों के लिए प्रिय बॉस होता है। हमेशा कर्मचारियों पर रौब जताने वाला, आर्डर मारने वाला, उन्हें डराने वाला बॉस कभी एक अच्छा बॉस नहीं बन सकता है।अगर आपको किसी एम्प्लॉई से निजी तौर पर कोई दिक्कत है तो उससे ही बात करें.कभी भी दूसरे एम्प्लॉई से न बोले।

गलतफहमी में न रहें

यदि कोई बॉस ऐसा सोचता है कि मैंने अपना हूनर अपने कर्मचारियों को सीखा दिया तो वे मुझसे आगे निकल जाएँगे तो उसकी यह सोच सरासर गलत है। बॉस तो ऐसा होना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों के आगे बढने का मार्ग प्रशस्त करे तथा उसका उचित मार्गदर्शन करें न कि उनकी सफलता में अवरोध बने।बॉस और कर्मचारी का रिश्ता एक दोस्ताना रिश्ता भी बन सकता है। अपने कर्मचारी से मधुर संबंध बनाकर बॉस जहाँ सबका चहेता बॉस बन जाता है, वहीं अपने कर्मचारियों का दिल जीतकर वो उनके भरपूर उपयोग भी कर सकता है। प्यार और आपसी समझ के इस रिश्ते में औपचारिकता की बजाय सहजता लाए तो बेहतर होगा।

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