भारतीय किचन मिर्च के बिना अधूरी मानी जाती है. कुछ लोग अधिक मिर्च खाना पसंद करते हैं तो कुछ कम मिर्च से ही काम चला लेते हैं. लेकिन उनके किचन में मिर्च अनिवार्य रूप से होती है. लाल मिर्च खाने में तीखी होती है. इसका उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है. सब्जी में लाल मिर्च का उपयोग करने से उसके जायके में निखार आ जाता है. साथ ही सब्जी का कलर भी रेडिश हो जाता है. ऐसे तो पूरे भारत में लाल मिर्च की खेती की जाती है. लेकिन नागालैंड में उगाई जाने वाली “भूत जोलोकिया” लाल मिर्च पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि इसकी गिनती दुनिया की सबसे तीखी मिर्च में होती है. यही वजह है कि “भूत जोलोकिया” का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया जा चुका है.
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च
“भूत जोलोकिया” नागालैंड की मशहूर लाल मिर्च है. बुवाई के महज 75 से 90 दिनों के बाद ही यह तैयार हो जाती है. यानी कि आप इसके पौधों से मिर्च तोड़ सकते हैं. भूत जोलोकिया मिर्च की ऊंचाई 50 से 120 सेंटीमीटर तक होती है. इसकी खेती पहाड़ों पर ही होती है. भूत जोलोकिया मिर्च सामान्य लाल मिर्च के मुकाबले लंबाई में छोटी होती है. इसकी लंबाई 3 सेंटीमीटर तक होती है, जबकि चौड़ाई 1 से 1. 2 सेंटीमीटर होती है.
खास बात यह है कि इस मिर्च का उपोग पेपर स्प्रे बनाने में भी किया जाता है. इस स्प्रे से महिलाएं अपनी सुरक्षा करती हैं. पेपर स्प्रे का छिड़काव करने पर लोगों के गले और आंखों में जलन होने लगती है और सामने वाला इंसान खासने लगता है. साल 2007 में भूत जोलोकिया का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है. नागालैंड में किसान इसकी बड़े स्तर पर खेती करते हैं. अगर आप चाहें तो घर के अदर गमले में भी इसको उगा सकते हैं.
ज्यादा बारिश होने पर इसका पौधा सूख जाता है
साल 2028 में भूत जोलोकिया को जीआई टैग मिल चुका है. जीआई टैक एक भौगोलिक संकेत है. जीआई टैग के माध्यम से कस्टमर जान पाता है कि वह जो चीज खरीद रहा है, उसका ताल्लुक किस स्थान से है. वहीं, जीआई टैग मिलने से किसी भी चीज का ब्रांड वैल्यू बढ़ जाता है. ऐसे में किसानों को भी इसका फायदा मिलता है, क्योंकि मांग बढ़ने पर किसान अधिक रकबे में खेती करेंगे. भूत जोलोकिया मिर्च की डिमांड यूरोप में भी खूब है. साल 2021 में जोलोकिया मिर्च का लंदन में निर्यात किया गया था. भूत जोलोकिया की फसल ज्यादा बारिश को सहन नहीं कर पाती है. ज्यादा बारिश होने पर इसका पौधा सूख जाता है