Vasudhara Falls: भारत दुनियाभर में अपनी संस्कृतियों और परंपराओं के लिए मशहूर है। यहां मौजूद कई सारे एतिहासिक और धार्मिक स्थलों को देखने देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। विविधताओं से भरा यह देश कई रहस्यों और चमत्कारों से भी भरा हुआ है। यही वजह है कि भारत कई वर्षों से दुनियाभर में लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। भारत के यूं तो कई सारे पर्यटन स्थल पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं, लेकिन देवभूमि उत्तराखंड की बात ही कुछ अलग है।
उत्तराखंड को देवताओं का स्थल कहा जाता है।हरियाली और ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे उत्तराखंड राज्य को लेकर मान्यता है कि महादेव यहीं निवास करते हैं। यहां ब्रदीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री आदि तमाम तीर्थस्थल मौजूद हैं, साथ ही गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम भी उत्तराखंड से ही होता है। उत्तराखंड की धरती इतनी पवित्र है कि पाण्डवों (Pandavas) से लेकर कई महान राजाओं तक तमाम लोगों ने तप करने के लिए इसी भूमि को ही चुना था। पाण्डवों ने स्वर्ग के लिए भी यहीं से प्रस्थान किया था। कहा जाता है कि उत्तराखंड की इस पावन धरती पर एक ऐसा झरना भी है, जिसके पानी को कोई पापी व्यक्ति हाथ भी नहीं लगा पाता। इसे वसुंधरा झरने (Vasundhara Falls) के नाम से जाना जाता है। यहां जानिए इस झरने से जुड़ी हैरान करने वाली बातें।
बद्रीनाथ के पास है रहस्यमयी झरना
नदियों और झरनों और धार्मिक स्थलों से घिरे उत्तराखंड में एक जगह ऐसी भी है, जहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। दरअसल, यहां एक ऐसा झरना मौजूद है, जो महत्व, रहस्य और इतिहास के लिए दुनियाभर में काफी मशहूर है। बद्रीनाथ से करीब 8 किमी और भारत के आखिरी गांव माणा से 5 किमी की दूरी पर स्थित इस झरने को वसुधारा फॉल्स के नाम से जाना जाता है। इस झरने को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसका पानी पापियों के तन को नहीं छूता नहीं है। पापी व्यक्ति के स्पर्श से ही झरने का पानी गिरना बंद हो जाता है।
400 फीट ऊंचा है झरना
इस खास और रहस्यमयी झरने का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। करीब 400 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने को एक नजर में शिखर तक नहीं देखा जा सकता। इस झरने के सुंदर मोतियों जैसी जलधारा लोगों को धरती पर स्वर्ग का अनुभव कराती है। इसके अलावा इस झरने को लेकर यह भी कहा जाता है कि इसका पानी कई तरह की जड़ी-बूटियों से होकर गिरता है,जिसकी वजह से इसका पानी जिस व्यक्ति पर भी गिरता है, वह निरोगी हो जाता है।
दो घंटे में तय होती है दूरी
वसुधारा फॉल्स तक पहुंचने के लिए फट ट्रैक माणा गांव से शुरू होता है। यहां सरस्वती मंदिर के बाद पांच किमी लंबा यह ट्रैक काफी मुश्किल हो जाता है। दरअसल, यहां की जमीन बेहद कठोर और पथरीली है, जिसकी वजह से माणा गांव से वसुधारा तक पहुंचने में करीब दो घंटे का समय लग जाता है। इस दौरान रास्ते में भोजन और पानी की कोई सुविधा भी नहीं मिलती। हालांकि, यहां पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों को माणा गांव से घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी की सुविधा मिल जाती है।
पापियों को स्पर्श तक नहीं करता इसका पानी
वसुंधरा झरना बद्रीनाथ धाम से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये झरना 400 फीट ऊंचाई से गिरता है और गिरते हुए मोतियोंं की तरह नजर आता है। कहा जाता है कि ऊंचाई से गिरने के कारण इसका पानी दूर दूर तक पहुंचता है, लेकिन अगर कोई पापी इसके नीचे खड़ा हो जाए, तो वो पानी उस पापी के शरीर को स्पर्श तक नहीं करता। बद्रीनाथ धाम जाने वाले लोग इस झरने के चमत्कार को देखने जरूर जाते हैं। इसे बेहद पवित्र झरना कहा जाता है। यहां आकर पर्यटकों को स्वर्ग में होने की अनुभूति होती है।
इसके पानी में हैं कई औषधीय तत्व
कहा जाता है कि इस झरने के पानी में कई तरह के औषधीय तत्व हैं क्योंकि इस झरने का पानी कई जड़ी-बूटियों वाले पौधों को छूकर नीचे आता है। कहा जाता है कि जिस पर इस झरने का पानी जिस व्यक्ति के शरीर पर पड़ता है, वो व्यक्ति निरोगी हो जाता है। यहां पहुंचने के लिए आपको माणा गांव से ट्रैकिंग करनी होगी और झाड़ियों से होते हुए यहां पहुंचना होगा।
सहदेव ने त्यागे थे प्राण
कहा जाता है कि पाण्डवों में से सहदेव ने अपने प्राण यहीं पर त्यागे थे। कहा जाता है कि अगर इसके पानी की कुछ बूंदें भी आपके शरीर को स्पर्श कर जाएं, तो आप समझिए आपके अंदर पुण्यात्मा है। भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी तमाम पर्यटक इस झरने के चमत्कार को देखने के लिए यहां आते हैं।