Temple Attack: मथुरा कृष्ण नगरी मथुरा के श्रीराम मंदिर में मुस्लिम युवक शेर खान ने पुजारी पर हमला किया और मंदिर में ईंट-पत्थर फेंके। यह घटना तब हुई जब मंदिर के पुजारी अरुण चौधरी सोमवार (23 सितंबर 2024) की सुबह मंदिर की सफाई कर रहे थे। तभी शेर खान नाम के हमलावर ने ईंट-पत्थर फेंककर मंदिर पर हमला किया और महंत को धमकी दी कि वे मंदिर न खोलें।
शेर खान ने किया "राम मंदिर" पे हमला
— Deepak Sharma (@SonOfBharat7) September 24, 2024
मंदिर का गेट तोड़ने की कोशिश
महंत को जान से मारने की धमकी दे डाली
व जल्द से जल्द मंदिर छोड़ने की बात बोली
मामला मथुरा स्थित राम मंदिर का है जहाँ
आतंकी शेर खान ने राम मंदिर पर हमला बोल दिया, और गेट तो तोड़ने लगा, महंत के रोकने पर उन्हें… pic.twitter.com/fNF6IK5zKj
मथुरा की घटना
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मथुरा के राया थाना इलाके में स्थित श्रीराम मंदिर पर शेर खान नामक युवक ने हमला किया। मंदिर की सफाई करते समय शेर खान नाम का युवक पहुँचा और पुजारी को धमकाने लगा। यही नहीं, पुजारी अरुण चौधरी को शेर खान ने साफ तौर पर कहा कि वो अगले दिन से मंदिर को न खोले, वर्ना अंजाम बुरा होगा। शेर खान ने दावा किया कि मंदिर उसका है और अगली बार इसे खोलने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पुजारी ने हमले के बाद मंदिर के अंदर छुपकर किसी तरह अपनी जान बचाई और पुलिस को सूचित किया। इस दौरान शेर खान ने मंदिर के गेट को तोड़ने की कोशिश की और जमकर गाली-गलौच की।
इस बीच मौके पर पुलिस पहुँचती, उससे पहले ही शेर खान फरार हो गया। पुलिस कर्मियों ने भी पुजारी से बदतमीजी की, जिसके बाद स्थानीय लोग भड़क गए। सूचना पर एसपी देहात त्रिगुन विसेन क्षेत्राधिकारी महावन भूषण वर्मा मौके पर पहुँचे और गलत भाषा का प्रयोग करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया। वहीं, घटना के बाद पुलिस ने हमलावर शेर खान को गिरफ्तार कर लिया और लेकिन उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त करार दे दिया। इस दावे पर हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है। गुस्साए लोगों का कहना है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी मुस्लिम व्यक्ति ने हिंदू धार्मिक स्थल पर हमला किया हो और उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर बचाने का प्रयास किया गया हो।
मानसिक विक्षिप्तता का पैटर्न
बता दें कि, भारत में हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर होने वाले हमलों की घटनाएँ हाल के वर्षों में बढ़ी हैं, और कई मामलों में पुलिस या संबंधित लोग हमलावरों को मानसिक रूप से विक्षिप्त बताकर उनके बचाव का प्रयास करते दिखते हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा की घटना में भी हमलावर शेर खान को मानसिक विक्षिप्त करार दिया गया।
मथुरा की यह घटना कोई अकेली घटना नहीं है। ऐसी घटनाएँ आम होती जा रही हैं, और एक पैटर्न दिख रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोग जब हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमला करते हैं, तो उन्हें मानसिक विक्षिप्त बताकर बचाने की कोशिश की जाती है। कई उदाहरण हमारे सामने हैं, जिसमें हिंदू धार्मिक स्थलों पर हुए हमलों में मुस्लिम हमलावरों को मानसिक विक्षिप्त बताकर उनका बचाव किया गया। कुछ ऐसे ही मामलों पर नजर डालते हैं:
शिवमोग्गा की घटना (2024): प्राण-प्रतिष्ठा के उत्सव के दौरान एक बुर्काधारी महिला ने अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाए। जब उसके परिजनों से पूछा गया, तो उन्होंने उसे मानसिक रूप से बीमार बताया।
मोहम्मद मोइउद्दीन का हमला (2023): बिहार में ईद के दिन मोइउद्दीन ने मंदिर में घुसकर देवी के सामने पेशाब किया। पुलिस ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर बचाने का प्रयास किया।
जावेद का उन्नाव महादेव मंदिर पर हमला (2023): जावेद ने उन्नाव के महादेव मंदिर में हमला किया और 8 लोगों को घायल कर दिया। मीडिया ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर पेश किया।
शाह आलम का दुर्गा पूजा पंडाल में प्रवेश (2023): एक व्यक्ति ने दुर्गा पूजा पंडाल में कुरान लेकर प्रवेश किया और लोगों ने उसे पकड़ लिया। पुलिस ने उसे मानसिक रूप से बीमार बताकर छोड़ दिया।
आरा शेख का शिवलिंग पर पेशाब करना (2023): पश्चिम बंगाल में एक युवक ने मंदिर में शिवलिंग पर पेशाब किया और इसका वीडियो वायरल हुआ। पुलिस ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर कार्रवाई नहीं की।
सद्दाम का काली मंदिर में हमला (2023): उत्तराखंड में सद्दाम ने काली मंदिर में पेशाब किया। पुलिस ने उसे मानसिक रूप से बीमार बताकर बचाने का प्रयास किया, जबकि उसे पकड़ने के लिए 200 से ज्यादा सीसीटीवी की फुटेज छाननी पड़ी।
ऐसे हमलों की बढ़ती घटनाएँ
साल 2022 में भी कई ऐसी घटनाएँ सामने आईं, जहाँ मुस्लिम समुदाय के हमलावरों को मानसिक विक्षिप्त बताकर बचाने की कोशिश की गई। जैसे कि गोरखपुर में अहमद मुर्तजा अब्बासी ने चाकुओं से हमला किया और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उसका बचाव मानसिक विक्षिप्त बताकर किया, जबकि बाद में उसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा पाया गया। वो आईएसआईएस जैसे दुर्दांत आतंकवादी संगठन से जुड़ने वाला था।
राँची में मंदिर के गेट का ताला खोलकर फिर बजरंग बली की मूर्ति तोड़ने वाला रमीज अहमद फरार हो गया। आराम से अपनी जिंदगी जीने लगा। सीसीटीवी फुटेज में उसका चेहरा दिखा, तो पकड़ा गया। लेकिन जो रमीज मंदिर का ताला तोड़कर मूर्ति तोड़ने के समय पूरी तरह से होश में था, वो राँची की पुलिस मानसिक विक्षिप्त बताने लगी।
कई लोग सवाल उठाते हैं कि आखिर क्यों हर बार मुस्लिम हमलावरों को मानसिक विक्षिप्त बताकर उनके अपराध को हल्का किया जाता है। आप बताइए, क्या सिर्फ मानसिक विक्षिप्त व्यक्ति ऐसा कर सकता है? ऐसे में पुलिस और प्रशासन पर यह आरोप लगने लगे हैं कि वे धार्मिक हमलों पर ढील बरत रहे हैं, जिससे समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है।