लीक दस्तावेज से हड़कंप, यूरोप के खिलाफ अमेरिका की कथित प्लानिंग उजागर

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ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने हाल ही में दावा किया है कि उसके हाथ एक ड्राफ्ट दस्तावेज लगा है. इस लीक हुए दस्तावेज से पता चला है कि अमेरिका, यूरोप को बर्बाद करना चाहता है, साथ ही भारत, चीन समेत एशियाई देशों के साथ नया गठबंधन बनाने की तैयारी कर रहा है |  हालांकि इस दस्तावेज को अमेरिका ने फेक बताया है. US का कहना है शुक्रवार को जारी किया गया 29-पेज का US नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी (NSS) ही असली और ऑफिशियल डॉक्यूमेंट है |

लीक दस्तावेज के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन यूरोपीय यूनियन (EU) को रणनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए 3 देशों- ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी में सरकार बदलना चाहता है|साथ ही 4 देशों इटली, हंगरी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया को EU से अलग करने की प्लानिंग कर रहा है. इसकी ये वजहें हो सकती है |

आर्थिक प्रतिस्पर्धा और व्यापार

यूरोपीयन यूनियन (EU) दुनिया की सबसे बड़ी आपस में जुड़ी हुई अर्थव्यवस्था है. EU का मजबूत होना, अमेरिका के व्यापारिक हितों के लिए चुनौती है. इसे कमजोर करके, अमेरिका यूरोपीय देशों के साथ अलग-अलग व्यापार सौदे कर सकता है, बेहतर ट्रेड डील हासिल कर सकता है. साथ ही यूरोपीय बाजार पर अधिक नियंत्रण रख सकता है| EU में शामिल 27 देशों की कुल GDP लगभग 17 ट्रिलियन डॉलर है. अमेरिका और EU के बीच सालाना 1 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का व्यापार होता है. EU अमेरिका का सबसे बड़ा बड़ा ट्रेड पार्टनर माना जाता है|

NATO पर वित्तीय बोझ

ट्रंप और उनके मंत्री नाटो खर्च में यूरोप की हिस्सेदारी को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. दरअसल, अमेरिका का कहना है NATO की सुरक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा बोझ वही उठाता है, जबकि कई यूरोपीय देश तय लक्ष्य के मुताबिक खर्च नहीं करते. NATO के नियमों के मुताबिक, सदस्य देशों को अपनी GDP का कम से कम 2% रक्षा पर खर्च करना चाहिए | रूस-यूक्रेन युद्ध और बढ़ते सुरक्षा खतरों के बाद कई यूरोपीय देशों ने रक्षा बजट बढ़ाने शुरू कर दिए हैं, लेकिन अमेरिका अब भी बराबर हिस्सेदारी की मांग करता है. नाटो के 32 सदस्य देश हैं. अमेरिका इसके कुल सैन्य खर्च का लगभग 65 से 70% हिस्सा अकेले उठाता है. इसके बाद जर्मनी (6%), ब्रिटेन (5.4%) और फ्रांस (4.3%) आते हैं |

यूरोप की माइग्रेशन पॉलिसी से नाराजगी

ट्रंप कई मौकों पर यूरोप की कमजोर इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर नाराजगी जता चुके हैं. हाल ही में ट्रंप ने इमिग्रेशन को लेकर ग्रेट रिप्लेसमेंट थ्योरी का जिक्र किया | इस थ्योरी में दावा किया जाता है कि प्रवासियों के आने से यूरोप कमजोर हो रहा है और अपनी पहचान खो रहा है. उन्होंने कहा कि यूरोप के कई नेता बहुत मूर्ख हैं और उनकी प्रवासन नीतियां पूरी तरह असफल साबित हुई हैं. ट्रंप का मानना है कि यूरोप में लगातार हो रहे इमिग्रेशन और फ्री स्पीच पर सेंसरशिप की वजह से सभ्यता के खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है |

Core 5- नई वैश्विक व्यवस्था से फायदा

अमेरिका एक नई Core-5 गठबंधन बनाने की सोच रहा है, जिसमें अमेरिका, चीन, रूस, भारत और जापान शामिल होंगे. ये गठबंधन यूरोप को किनारे कर देगा. यह ऐसी रणनीति है, जिससे अमेरिका, यूरोप की सहमति के बिना वैश्विक फैसले ले सकता है |एशिया में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है. यूरोप के बजाय एशियाई महाशक्तियों के साथ सीधे डील कर सकता है |

राष्ट्रवादी सरकारों के साथ गठजोड़

ट्रंप यूरोप के देशों में राइट विंग (दक्षिणपंथी) सरकारों को इसलिए पसंद करते हैं, क्योंकि उनकी सोच और नीतियां कई अहम मुद्दों पर ट्रंप की विचारधारा से मेल खाती हैं. इटली में प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी, राष्ट्रवाद और पारंपरिक मूल्यों की बात करती है. यह रुख ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की सोच से मेल खाता है| हंगरी में प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन खुले तौर पर अवैध इमिग्रेशन और यूरोपीय यूनियन की नीतियों का विरोध करते हैं. ट्रंप कई बार ऑर्बन की तारीफ कर चुके हैं |

पोलैंड NATO पर रक्षा खर्च बढ़ाने वाले देशों में भी रहा है, जो ट्रंप की मुख्य मांग रही है. ऑस्ट्रिया की सरकार भी इमिग्रेशन सीमित करने और EU की ताकत घटाने की बात करती हैं | ये सभी बातें ट्रंप की सोच से मेल खाती हैं. चारों ही देशों में फिलहाल राइट विंग पार्टियों की सरकार है, यही वजह है कि लीक डॉक्यूमेंट में इन 4 देशों को EU से अलग करने की बात कही गई है |

रूस-चीन को बैलेंस करने की जरूरत

नई रणनीति रूस के साथ रणनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देती है. अगर EU कमजोर होता है, तो यूक्रेन युद्ध में यूरोप की आवाज कमजोर होगी और अमेरिका-रूस सीधे समझौता कर सकते हैं | एक एकजुट यूरोप अमेरिका-चीन के बीच चल रहे कॉम्पिटिशन में तीसरी शक्ति बन सकता है | यूरोप को कमजोर करके और Core-5 बनाकर, अमेरिका चीन के साथ सीधे डील कर सकता है |