वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बिना किसी चेतावनी के वॉशिंगटन डीसी में 800 नेशनल गार्ड तैनात करने का आदेश दे दिया। हुक्म आते ही आधी रात सेना ने मोर्चा संभाल लिया। इनमें से कुछ सैकड़ों जवान सड़कों पर दिखेंगे, तो कुछ प्रशासन और लॉजिस्टिक्स का काम देखेंगे। लेकिन ट्रंप ने अचानक ये फैसला क्यों लिया और इससे अमेरिका में हड़कंप क्यों मचा है?
वहीं ट्रंप का कहना है कि गैंगों का कब्जा खत्म करना जरूरी है, राजधानी को सुरक्षित रखना है। पहले भी नेशनल गार्ड यहां उतरे हैं। 2020 में ब्लैक लाइव्स मैटर विरोध प्रदर्शन के दौरान ट्रंप प्रशासन ने सैकड़ों गार्ड तैनात किए थे, जब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव चरम पर था। 2021 में 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर हुए दंगे के बाद, सुरक्षा के लिए हजारों नेशनल गार्ड तैनात किए गए। 1968 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद डीसी में हिंसा भड़कने पर भी गार्ड सड़कों पर उतरे थे। लेकिन फर्क ये है कि इन सभी मौकों पर हालात वाकई बेकाबू थे। इस बार हालात सामान्य दिख रहे थे, फिर भी 800 जवान उतारना कई लोगों को चौंका रहा है।
नेशनल गार्ड को यूं सड़कों पर उतारना कोई छोटी बात नहीं है। अमेरिका में ये फोर्स आमतौर पर आपदा, बड़े दंगे या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हालात में लगाई जाती है। और सबसे दिलचस्प बात इस बार न तो डीसी में कोई बड़े पैमाने का दंगा चल रहा था, न अपराध दर रिकॉर्ड स्तर पर थी। बल्कि आंकड़े तो कुछ और ही कहानी सुना रहे हैं। मजे की बात ये है कि आंकड़े कह रहे हैं वॉशिंगटन डीसी में अपराध पहले से कम हो रहा है। मेट्रोपॉलिटन पुलिस के हिसाब से 2024 में हिंसक अपराध 35 प्रतिशत घटा, एफबीआई भी 9 प्रतिशत की गिरावट बता रही है। 2025 की शुरुआत में डकैती 25 प्रतिशत और हत्याएं 12 प्रतिशत कम हुईं। यानी हालत सुधर रही थी, लेकिन ट्रंप ने फिर भी फौज उतार दी।