Starlink: भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का बड़ा खेल अब हाई-टेंशन मोड में पहुँच गया है। मंगलवार को हुई डिजिटल कम्युनिकेशंस कमीशन (DCC) की अहम मीटिंग में TRAI की सैटेलाइट स्पेक्ट्रम सिफारिशों पर बम गिरा। DCC ने साफ कह दिया – “पहले पॉलिसी को दोबारा समझाओ, वरना मंज़ूरी मुश्किल है!”
कंपनियों की टेंशन डबल!
TRAI ने इसी साल मई में प्रस्ताव रखा था कि –
- सैटेलाइट इंटरनेट कंपनियां जैसे Starlink को AGR का 4% स्पेक्ट्रम चार्ज देना होगा।
- शहरी यूज़र्स से ₹500 सालाना एक्स्ट्रा फीस भी लेनी होगी।
- ग्रामीण इलाकों को राहत दी जाएगी।
लेकिन कंपनियां उम्मीद कर रही थीं कि चार्ज कम होंगे। अब इस भारी-भरकम बोझ से कंपनियों की हालत “Sky high dreams, Ground level shock” जैसी हो गई है।
असली ड्रामा शुरू
DCC ने TRAI की सिफारिशों को कुछ बिंदुओं पर वापस भेज दिया है। इसका मतलब है कि असली फैसला अभी टल गया है और कंपनियां अनिश्चितता की आंधी में फंस गई हैं।
क्यों है ये बड़ा मुद्दा?
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की जंग तेज़ है –
- Starlink एंट्री मार चुका है
- OneWeb अपनी पकड़ बनाने में जुटा है
- Jio Satellite मैदान में उतरकर गेम पलट सकता है
लेकिन अगर ये महंगे चार्ज लागू हुए, तो आम यूजर के लिए “सस्ता सैटेलाइट इंटरनेट” सपना ही रह जाएगा।