Personality : बच्चों से पहले पैरेंट्स करे पर्सनालिटी इंप्रूव, बच्चों के व्यक्तित्व में होगें कई बदलाव…

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Personality : बच्चों में जब कॉन्फिडेंस होता है तो वे खुद को बहुत ही अच्छे से प्रेसेंट करते हैं। लेकिन कॉन्फिडेंस की कमी उनके भविष्य के लिए काफी खराब साबित हो सकती है।

पेरेंट्स को रखना चाहिए इन चीजो का ध्यान

बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं। आप उन्हें जैसी शेप देंगे वो वैसा की रूप ले लेते हैं। जिन बच्चों में सेल्फ कॉन्फिडेंस ज्यादा होता है। उनकी परफॉर्मेंस भी वैसी ही होती है। ये हर क्षेत्र में अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश करते हैं। वहीं जिन बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी होती है उन्हें नई चीजों को ट्राई करने में डर लगता है। इसी के साथ ही कॉन्फिडेंस की कमी बड़े होने पर उनके करियर पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती है। ऐसे में बच्चों की अच्छी परवरिश अहम भूमिका निभाती है।पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों को कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए वो सब चीजें करें जो वे कर सकते हैं।

सरहाना करें

अप्रिशिएट करना यानी सरहाना करें। जब भी आपके बच्चे कुछ नया ट्राई करते हैं तो उनकी सरहाना करें। अगर वे उसमें सफल भी नहीं होते हैं तब भी उनकी सरहाना करें। ये चीज बच्चों का डर कम करने का काम करती है। इससे वे भविष्य में नई चीजों को ट्राई करने से घबराते नहीं है। अगर आप उन्हें अप्रिशिएट करते हैं तो इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है।

तुलना न करें

कभी भी बच्चों की तुलना किसी अन्य बच्चे से न करें। अगर बच्चे में अलग हुनर होता है। कभी भी अपने बच्चों की तुलना दोस्तों या उनके भाई-बहन से न करें। अगर आप बच्चों की तुलना किसी अन्य से करते हैं तो इससे उनका सेल्फ एस्टीम कम होता है। बच्चों को हेल्दी कॉम्पिटिशन करना सिखाएं। अगर आप बच्चों की तुलना किसी और से करते हैं तो उनमें इमोशल स्ट्रेस बढ़ जाता है। वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं।

एक अच्छा उदाहरण बनें

बच्चे स्कूल में बाद में शिक्षा लेते हैं। उससे पहले अपने घर से शिक्षा लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने बच्चों के सामने अच्छे से रहें। अच्छे से व्यवहार करें। ये चीज भी उनका कॉन्फिडेंस को बढ़ती है। इससे सीख लेकर ही बच्चे खुद को दूसरों के सामने प्रेसेंट करते हैं। इसके लिए जरूरी कि पेरेंट्स की हैबिट्स भी अच्छी हो।

छोटी -छोटी जिम्मेदारी दें

बच्चों को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां दें। इससे भी उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। उन्हें खिलोने सही से अरेंज करने के लिए कहें। इसके साथ ही अपने बच्चों पर अपने पसंद की चीजें न थोपें। उन्हें कुछ फैसले खुद लेने दें। ये उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट करने का काम करेंगी।

बच्चों को सिखाने से पहले अपनी पर्सनालिटी को इस तरह इंप्रूव करें पैरेंट्स

स्कूल या कॉलेज में बच्चे की ओर से प्रजेंट होने से लेकर कई जगहों पर पेरेंट्स को पेश आना पड़ता है। ऐसे में बतौर पेरेंट्स पर्सनालिटी से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

आज के समय में बच्चों की परवरिश में पर्सनालिटी डेवलपमेंट का अहम रोल रहता है। अच्छे संस्कार के साथ-साथ स्मार्ट होना भी जरूरी है क्योंकि दुनिया और समय दोनों ही तेजी से भागते हैं। इस रेस का हिस्सा बनना है तो खुद को आज के हिसाब में अपडेट करना भी जरूरी है। बच्चों के व्यक्तित्व (Personality Development) को निखारने में अमूमन हर माता-पिता कई तरीके आजमाते हैं पर उन्हें चीजों की सिखाने से पहले पेरेंट्स को अपनी पर्सनालिटी पर भी काम करना चाहिए।

पेरेंट्स जानें पर्सनालिटी से जुड़ी कुछ बातों के बारे में

बात करने का तरीका

बच्चे का पहला स्कूल उसका घर होता है और यहां जैसा व्यवहार अपनाया जाता है वैसा ही चाइल्ड सीखता है। पेरेंट्स किस तरह बात करते हैं बच्चे भी उन्हीं शब्दों को दूसरों के बीच बोलते हैं। चिल्लाकर या जोर से बात करने का तरीका बैड पर्सनालिटी को दर्शाता है। माता-पिता को घर में धीरे और सलीके से बात करनी चाहिए ताकि इस पर्सनालिटी को उनका बच्चा भी अपना सके।

खाने का तरीका

पेरेंट्स ही नहीं हर इंसान को खाने का तरीका सही रखना चाहिए। खाते समय गिराना या हाथ से खाना पर्सनालिटी के लिए नेगेटिव है। पेरेंट्स कैसे खाते हैं हो सकता है बच्चा भी वही सीख जाए। इसलिए अगर आपका खाने का तरीका गलत है तो उसमें जरूर सुधार लाएं। खाते समय बात करना बुरी बात है और पेरेंट्स को इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए।

अनबन करने से बचें

शादीशुदा लाइफ में प्यार है तो झगड़ों का होना भी लाजमी है पर अगर बतौर पेरेंट्स आप व्यवहार करना भूल जाते हैं तो ये तरीका बहुत भारी पड़ सकता है। बच्चे की मेंटल हेल्थ पर तो बुरा असर पड़ेगा बल्कि वह दूसरों के साथ गुस्से या लड़ाई वाला व्यवहार अपनाने लगता है। ये बिहेवियर बच्चे और पेरेंट्स की बैड पर्सनालिटी को दर्शाता है।