शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए बहुत आवश्यक है कि हम पौष्टिक चीजों का सेवन करें। कई अध्ययनों में पाया गया है कि हम खाना बनाने के लिए जिन तेलों का इस्तेमाल करते हैं उनके चयन को लेकर भी बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
रिफाइंड ऑयल हमारे किचन का वह स्लो पॉइजन है जो धीरे-धीरे हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है. रिफाइंड और खराब क्वालिटी के तेलों के कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के साथ इंफ्लामेशन और ब्लड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ते हुए देखा गया है। एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनियाभर में सोयाबीन के तेल का उपयोग हो रहा है, हालांकि परीक्षणों में इसे सेहत के लिए बहुत अच्छा नहीं पाया गया है। सोयाबीन ऑयल आंतों से संबंधित समस्या, इंफ्लामेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) को बढ़ाते हुआ देखी गई है।
सोयाबीन के तेल से आंतों पर असर
सोयाबीन का तेल संयुक्त राज्य अमेरिका सहित भारत और कई अन्य देशों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला खाद्य तेल है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इससे होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट किया है। शोध में उन चूहों के आंतों की जांच की गई जिन्हें प्रयोगशाला में 24 सप्ताह तक लगातार सोयाबीन तेल से भरपूर आहार दिया गया था। अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि चूहों के आंत में लाभकारी बैक्टीरिया कम हो गए और हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ गए, जो आईबीडी और कोलाइटिस का कारण बन सकते हैं।
लिनोलिक एसिड हो सकती है हानिकारक
सोयाबीन तेल में लिनोलिक एसिड पाया जाता है जो मुख्य चिंता का विषय है। वैसे तो हमारे शरीर को भोजन से प्रतिदिन 1-2% लिनोलिक एसिड की आवश्यकता होती है, जब ज्यादार अमेरिकि लोगों में इसकी मात्रा 8-10% तक देखी गई है। इसमें से अधिकांश सोयाबीन तेल से प्राप्त हो रहा है।
आंतों के अलावा कई और बीमारियों का भी खतरा
शोधकर्ताओं ने बताया कि शरीर में अधिक मात्रा में लिनोलिक एसिड के कारण आंत के माइक्रोबायोम पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। सोयाबीन तेल से भरपूर आहार, आंत में आक्रामक ई. कोली बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा देते हुए देखा गया है। इसके अलावा, लिनोलिक एसिड के कारण आंत में कई लाभकारी बैक्टीरिया कम भी हो रहे हैं। मनुष्यों में आईबीडी के लिए ई. कोलाई को एक कारक के तौर पर देखा जाता है।
कई शोध में पाया गया है कि सोयाबीन का तेल आंतों की समस्याओं के साथ मोटापे और मधुमेह, ऑटिज्म, अल्जाइमर रोग, चिंता-अवसाद जैसी समस्याओं के जोखिमों को भी बढ़ा सकती है।
कौन सा तेल सुरक्षित?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अध्ययनों से पता चला है कि सेचुरेटेड फैट शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है, इसलिए हमेशा उन्हीं तेलों का सेवन करें जिसमें इसकी मात्रा कम हो। शोध में पाया गया है कि ऑलिव ऑयल सेहत के लिए सबसे लाभकारी हो सकता है, सरसों के तेल को भी सेहत के लिए फायदेमंद प्रभावों वाला माना जाता है। इसके साथ रिफाइंड तेलों का सेवन कम करें इससे और भी कई प्रकार की बीमारियों के बढ़ने का जोखिम हो सकता है।